22 दया याचिका खारिज करने के बाद राष्ट्रपति को इस पर आई दया
नयी दिल्ली। सजा-ए-मौत को उम्रकैद में बदलने का अधिकार भारत में सिर्प राष्ट्रपति के पास हैं। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अपने इसी अधिकार का इस्तेमाल पहली बार किया है। साल 2012 में राष्ट्रपति बनने के बाद ये पहला मौका था जब राष्ट्रपति ने किसी की दया याचिका खारिज नहीं की।
अब तक लगातार 22 दया याचिकाएं खारिज करने के बाद राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अपने ही परिजनों की हत्या करने वाले एक शख्स की सजा-ए-मौत को उम्रकैद में बदल ली है। असम के रहने वाले मन बहादुर दीवान नाम के इस शख्स की राष्ट्रपति ने दया याचिका स्वीकार की है और उसके मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया।
इस शख्स ने 2002 में अपनी पत्नी और दो नाबालिग बेटों की हत्या कर दी थी। इतनी ही नहीं पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने से पहले अपने पड़ोसी की भी हत्या की थी। इस मामले पर गृह मंत्रालय से इस मामले में नरमी बरतने की सलाह मिलने के बाद राष्ट्रपति ने उस पर दया दिखाई और उनकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया।