विंग कमांडर राहुल शुक्ला को राष्ट्रपति सम्मान
नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। विंग कमांडर राहुल शुक्ला बीती 20 जनवरी को कभी नहीं भूल सकेंगे। उस दिन वे मिग-21 टी- 69 से कलाइकुंडा से अंबाला जा रहे थे और इलाहाबाद में उन्हें विमान में ईंधन के लिए रुकना था। जब वह 5 किलोमीटर की दूरी पर थे तो उन्होंने विमान के पिछले हिस्से से आवाज सुनी। उन्होंने तुंरत इंजन की जांच की और जेट पाइप तापमान (जेपीटी) में वृद्धि का पता लगाया।
राहुल शुक्ला ने जेपीटी को नियंत्रित करने के लिए पॉवर कम कर दी तो उनकी मुख्य हाइड्रालिक चेतावनी लाइट चालू हो गई क्योंकि तापमान गिरने की सूचना मिल रही थी।
बिगड़े हालात
हालात उस समय और विकट हो गए जब मौसम खराब हो गया और दिखाई कम देने लगा।
विकट आपातकाल का सामना करने के बावजूद उन्होंने धैर्य बनाए रखा और इलाहाबाद में आरडब्ल्यू 30 पर विमान को लाने के लिए सही कार्रवाई की। मौसम खराब होने और बादल छाए रहने के कारण जमीन पर साफ नजर नहीं आ रहा था। खराब मौसम के कारण रनवे तक पहुंचने और लैंडिंग के लिए उनके पास सिर्फ 8-9 सेकेंड थे।
ऐसे विकट हालात में विमान उतारने के बाद उन्होंने खुद भी आग बुझाने वाले कर्मियों की मदद की। बाद में जांच से पता चला कि आग के कारण विमान को व्यापक नुकसान हुआ था।
अनकरणीय साहस
विंग कमांडर राहुल शुक्ला ने अनुकरणीय साहस, बुद्धिमानी दिखाई और विपरीत हालात में भी धैर्य बनाए रखा। इसलिए इंजन में समस्या और खराब मौसम के बावजूद विमान को सुरक्षित उतारने में सफल हुए। उनके कुशल कार्य और प्रोफेशनल ढंग से विमान चलाने और विपरीत हालात में जनता को जोखिम की आशंका को टालने के लिए उन्हें वायु सेना पदक सम्मानित किया गया है।