भाजपा और परिवारवाद- जड़ों में बसा है, लिस्ट बहुत लंबी है
भाजपा में परिवारवाद का काला सच, क्या सच में पार्टी परिवारवाद के खिलाफ है, नेताओं की लिस्ट काफी लंबी है
नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के अगर चाल और चरित्र को समझना है तो उसके तमाम बड़े नेताओं के बयान को देखना चाहिए, जिसमें वह कांग्रेस, सपा, बसपा, राजद सहित तमाम दलों के भीतर परिवारवाद पर बड़े-बड़े बयान देते हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तमाम रैलियों में देश से परिवारवाद की राजनीति को उखाड़ फेंकने की बात करते हैं। हाल ही में बिहार में महागठबंधन से नीतीश कुमार के अलग होने की भ्रष्टाचार के साथ परिवारवाद को एक बड़ी वजह बताया गया।
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पीएम मोदी परिवारवाद पर हमेशा हमलावर
पीएम मोदी खुद अपनी तमाम चुनावी रैलियों में कहते रहे हैं कि जातिवाद की राजनीतिक, संप्रदायवाद की राजनीति, भाई-भतीजावाद और परिवारवाद की राजनीति ने देश को तबाह कर दिया है, उन्होंने कहा कि देश के पास एक ही रास्ता है विकास की राजनीति का रास्ता, यूपी चुनाव के दौरान भी पीएम मोदी ने अपील की थी टिकट बंटवारे में परिवारवाद को बढ़ावा नहीं दिया जाए, लेकिन पीएम की अपील धरी रह गई और दर्जनों बड़े नेताओं के रिश्तेदारों को भाजपा ने टिकट दे दिया। ऐसे में आप यह कतई नहीं कह सकते हैं कि पीएम मोदी की उनकी पार्टी में चलती नहीं है, बल्कि इन उम्मीदवारों को टिकट दिया जाना उनके मूक समर्थन को दर्शाता है।
अमित शाह के दावों की हकीकत
वहीं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह तकरीबन हर रैली में और प्रेस कांफ्रेंस में परिवारवादी की राजनीति को लेकर विपक्षी दलों पर निशाना साधते हैं, यही नहीं एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा था कि आप मुझे बताईए कांग्रेस में सोनिया गांधी के बाद पार्टी का अध्यक्ष कौन बनेगा, राहुल गांधी, लेकिन भाजपा में ऐसा नहीं होता। जिसमें दमखम होगा, अनुभव होगा, संवेदना होगी, मेधा होगी और जिसका निर्मल चरित्र होगा वह भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष होगा।
बिहार में महागठबंधन के तोड़ने के लिए परिवारवाद का सहारा
बिहार में जदयू के महागठबंधन से अलग होने की एक वजह परिवारवाद को भी बताया गया है। कई जदयू के नेताओं ने यहां तक कहा था कि नीतीश कुमार के बगल में लालू के दोनों बेटे बैठते थे, यह शर्मिंदगी की बात है। लेकिन इन सब के बीच जदयू के नेता यह भूल गए कि जिस परिवारवाद का हर जगह भाजपा विरोध करती है, वही परिवारवाद भाजपा की जड़ों में शामिल हैं। भाजपा में परिवारवाद की ये लिस्ट यूं तो काफी लंबी है लेकिन पार्टी के कुछ बड़े नेताओं के परिवारवाद की एक झलक हम आपको दिखा रहे हैं।
भाजपा में परिवारवाद की लंबी फेहरिस्त
- देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह के बेटे पंकज सिंह नोएडा से भाजपा विधायक हैं।
- हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री पीके धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर भाजपा सांसद हैं।
- यूपी के पूर्व सीएम और राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह भाजपा सांसद हैं। कल्याण सिंह के ही पोते संदीप सिंह योगी सरकार में मंत्री हैं।
- केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी सुल्तानपुर से भाजपा सांसद हैं।
- पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा वित्त राज्य मंत्री हैं।
- राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत राजे झालावाड़ से भाजपा सांसद हैं।
- छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह छत्तीसगढ़ के राजनंद गांव से भाजपा सांसद हैं।
- दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा पश्चिमी दिल्ली से भाजपा के सांसद हैं।
- पूर्व दिग्गज भाजपा नेता चर्ती लाल गोयल के बेटे विजय गोयल मोदी सरकार में खेल मंत्री हैं।
- दिवंगत भाजपा नेता प्रमोद महाजन की बेटी पूनम महाजन मुंबई नॉर्थ सेंट्रल से लोकसभा सांसद
- पूर्व केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे महाराष्ट्र सरकार में मंत्री
- दिग्गज भाजपा नेता वेदप्रकाश गोयल के बेटे पीयूष गोयल मोदी सरकार में ऊर्जा मंत्री हैं।
- बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के बेटे कीर्ति आजाद भाजपा सांसद हैं।
- राम विलास के बेटे चिराग पासवान सांसद हैं।
- रामविलास पासवान के भाई पशुपति पासवान, यह ना तो एमएलए हैं और ना ही एमएलसी लेकिन नीतीश सरकार में मंत्री बनाए गए हैं।
- रामविलास पासवान के भाई लोकजनशक्ति पार्टी से समस्तीपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद।
- दिग्गज भाजपा नेता ठाकुर प्रसाद के बेटे रविशंकर प्रसाद मोदी सरकार में कानून मंत्री हैं।
- लालजी टंडन के बेटे गोपालजी टंडन देवरिया से भाजपा विधायक हैं और योगी सरकार में मंत्री हैं।
- लखीराम अग्रवाल के बेट अमर अग्रवाल छत्तीसगढ़ में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री