शिक्षक दिवस: PM मोदी से देश के होनहारों ने किए ये महत्वपूर्ण सवाल...
नई
दिल्ली।
शिक्षक
दिवस
को
गुरु
उत्सव
की
शक्ल
में
ढालकर
जब
पीएम
मोदी
ने
देश
के
'भविष्य'
यानि
छात्रों
को
संबोधित
किया
तो
हर
चेहरे
पर
मुस्कराहट-गंभीरता
तैर
उठी।
देश,
दुनिया
व
समाज
पर
जब
पीएम
मोदी
ने
छात्रों
से
'विकास'
व
शिक्षा
पर
मुलाकात
की
तो
मानेक
शॉ
सेंटर
दिल्ली
ही
नहीं
देश
के
कोने-कोने
के
क्षेत्रों
में
भाषण
उत्साह
पैदा
कर
गया।
छात्रों
ने
इन
प्रश्नों
के
ज़रिए
अपनी
बात
पीएम
के
सामने
रखी-
प्रश्न- आपको गांधीनगर से दिल्ली अाकर कैसा लग रहा है?
पीएम- ऐसा कुछ ख़ास अंतर नहीं लगा। अभी तो मैंने दिल्ली घूमी भी नहीं है। दरअसल प्रधानमंत्री बनने के बाद मेरी जिम्मेदारियां बढ़ गईं हैं। और ज्यादा व्यस्त रहता हूं। मुख्यमंत्री पद का जो अनुभव है, वह काम आ रहा है। मेहनत व लगन से अपनी जिम्मेदारी निभाने में लगा रहता हूं। पहले से कहीं ज्यादा देर से सोता हूं, जल्दी जागता हूं।
प्रश्न- आपको अनुभव ने सिखाया या शिक्षकों न?
पीएम- यह तो बड़ा टेक्टिकल सवाल है। दरअसल यह अनुभवों पर निर्भर है। यदि हम अच्छे अनुभवों से गुजरेंगे तो हमें उनसे सीख मिलेगी और शिक्षक से हमेशा ही सुज्ञान ही मिलता है। उदाहरण के लिए अगर हमारी पॉकेटमारी हो जाए, तो यह घटिया अनुभव है, पर आप इससे यह नहीं सीख सकते कि ''देखो, जेब काटने वाले ने बिना मेहनत से पैसे कमाए, मैं भी यही करूं।
प्रश्न- (दृष्टिहीन बालिका का प्रश्न) सर क्या आपने बालक के तौर पर कभी यह सोचा है कि आप कभी पीएम बन पाएंगे, विश्व भर में पसिद्ध होंगे?
पीएम- नहीं। पर सिर्फ करने के सपने देखो। बनना होगा तो बन जाओगे, नहीं बनना होगा तो नहीं बनोगे। पर करने का उत्साह व आनंद अद्भुत होता है।
प्रश्न- आपको हम जैसे बच्चों से बात करके आपको क्या मिलता ह?
पीएम- (हंसते हुए) आपसे मिलकर मेरी बेट्री चार्ज हो जाती है। यह वाकई मेरे जीवन का अद्भुत दिन है।
प्रश्न- आपको लेाग हैडमास्टर कहते हैं, आप हमसे मित्रवत तौर पर पेश आ रहे हैं, असल में आप किस प्रकार के इंसान हैं?
पीएम- मैं टास्क मास्टर हूं।
प्रश्न- जापान की व भारत की शिक्षा में आपने कैसा अंतर महसूस किया?
पीएम- वहां हर 25 कदम पर पेरेंट खड़े होते हैं, हरेक बच्चे को स्कूल जाते वक्त ग्लोबल पेरेंटिंग का संदेश देते हैं। इस व्यवस्था पर मैं विस्तार से काम कर रहा हूं।
प्रश्न- आपको कैसे छात्र पसंद हैं ?
पीएम- सभी छात्र बेटे-बेटी की तरह होता है। भेदभाव नहीं होना चाहिए
प्रश्न- आपके विद्यार्थी काल में जो आपने शरारतें कीं थीं, क्या याद हैं आपको?
पीएम- शहनाई बजाने वाले बैठते हैं ना, तो किसी के यहां शादी होती थी तो हम दोस्त वहां इमली लेकर वहां जाते थे तो जब उन्हें दिखाता था तो वो लेाग बजा नहीं पाते थे। हम किसी की शादी होती थी तो चले जाते थे और लोग जब खड़े होते थे लेडीज़-जेंट तो उन्हें स्टेपलर लगा देते थे।
प्रश्न- बस्तर जैसे क्षेत्र के लिए उच्च शिक्षा संस्थानों की कमी है, वहां के लिए आप क्या करेंगे।
पीएम- मुझे अच्छा लगा कि एक बालिका ने शिक्षा पर इस तरह की जिज्ञासा पेश की। हम वहां के लिए जरूर व्यवस्था करेंगे।
प्रश्न- क्या राजनीति और पीएम पद की जिम्मेदारी कठिन होती है? आप कैसे हैंडल करते हैं? इस प्रोफेशन को किस तरह मैनेज करते हैं?
पीएम- पहले तो राजनीति को प्रोफेशन ना कहें, यह सेवा है। देश की सेवा। मैं बस करने के सपने देखता हूं, बनने, ना बनने के नहीं। एक 5 साल की बालिका 3 साल के बालक को उठाकर छोटी सी पहाड़ी चढ़ रही थी। उससे पूछा कि तुम्हें थकान नहीं लगती है, ये तो मेरा भाई है। अरे मेरा भाई है। मुझे इसे उठाए रखने में कोई थकान महसूस नहीं होती।
प्रश्न- वाचे गुजरात अभियान के बाद आपने समूचे देश को पढ़ने के लिए कोई अभियान तैयार किया है?
पीएम- इस योजना पर मैं काम करूंगा। कई नीतियों पर हम काम कर रहे हैं जिनमें 'डिजिटल इंडिया' प्रमुख है।