पेट्रोलियम दस्तावेज लीक मामला: मकसद को अंजाम देने की पूरी कहानी
नयी
दिल्ली।
पेट्रोलियम
मंत्रालय
में
हुई
जासूसी
कांड
में
सारे
अहम
दस्तावेज
बरामद
कर
लिये
गए
हैं।
इस
मामले
में
एक
बड़ी
कंपनी
के
5
अफसरों
को
हिरासत
में
ले
लिया
गया
है।
दस्तावेजों
के
लीक
होने
का
जो
मॉडस
ऑपरेंडी
(घटना
के
अंजाम
देने
का
तरीका)
है
वो
काफी
रोचक
है।
पुलिस
को
शुरुआती
जांच
में
पता
चला
है
कि
शांतनु
सैकिया
और
प्रयास
जैन
पांच
बड़ी
कंपनियों
के
अधिकारियों
को
खुफिया
दस्तावेज
बेचते
थे।
वनइंडिया
को
सूत्रों
ने
बताया
कि
पेट्रोलियम
मंत्रालय
की
जो
प्रस्तुति
विदेशी
कंपनी
ने
बनायी
थी
उसे
कॉरपोरेट
जगत
में
बेचा
जाता
था।
बरामद हुए दस्तावेज
- वित्त मंत्री के बजट भाषण का हिस्सा
- प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेटरी नृपेंद्र मिश्रा की एक गोपनीय चिट्ठी
- पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल की दिसंबर महीने की गोपनीय रिपोर्ट
- 4 फरवरी की श्रीलंका में अवसरों की समीक्षा हेडर वाली रिपोर्ट
- अलग अलग क्षेत्रों की गोपनीय परफॉर्मेंस रिपोर्ट
- मिनिस्ट्री ऑफ पीएनजी के एक्स्पलोरेशन डिवीजन के गोपनीय दस्तावेज शामिल हैं
हुईं ये बड़ी गिरफ्तारियां
- एडीएजी रिलायंस के डीजीएम ऋषि आनंद
- केयर्न्स इंडिया से के के नायक
- जुबीलेंट एनर्जी के सुभाष चंद्रा
- एस्सार के विनय कुमार
- RIL के मैनेजर शैलेश सक्सेना
- ड्राइवर राजकुमार
फर्जी पहचान पत्रों के जरिए मंत्रालय में होता था प्रवेश
दिल्ली पुलिस ने बताया कि राजकुमार वह कार चला रहा था, जिसमें मंत्रालय के दस्तावेज बरामद हुए हैं। आशाराम व ईश्वर सिंह पेट्रोलियम मंत्रालय से सूचनाएं उस तक पहुंचाते थे। आशाराम उस समय मंत्रालय के सीसीटीवी कैमरे बंद कर देता था, जब उसके बेटे लालता प्रसाद व राकेश कुमार फर्जी पहचान पत्रों के जरिए मंत्रालय में प्रवेश करते थे।
उन्होंने चार-चार हजार रुपये देकर फर्जी प्रमाणपत्र प्राप्त किए थे। शांतनु सेकिया के पास से पेट्रालियम मंत्रालय के गुप्त व संवेदनशील कई दस्तावेज बरामद हुए हैं। ये दस्तावेज लालता प्रसाद मंत्रालय से लाता था। इस पर शांतनु की तरफ से पेश वकील ने कहा कि वह पत्रकार हैं और उनके पास से मिले सभी दस्तावेज उनके पेशे से संबंधित हैं। पुलिस बताए कि वह कैसे कह सकती है कि बरामद दस्तावेज गोपनीय हैं।