पठानकोट आतंकी हमला- कहां हुई सुरक्षा में चूक?
नई दिल्ली। पठानकोट के एयरबेस पर हुआ आतंकी हमला 50 घंटे बाद भी जारी है। हमले में एयरफोर्स स्टेशन के अंदर घुसे आतंकवादी रुक-रुक कर फायरिंग कर रहे हैं और भारतीय सेना और पंजाब पुलिस संयुक्त ऑपरेशन के तहत सर्च ऑपरेशन चला रही है। इन सबके बीच जो सबसे बड़ा सवाल उठता है, वो है सुरक्षा में हुई इस चूक के लिये कौन जिम्मेदार है?
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प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि आतंकवादी दो गुटों में भारत में दाखिल हुए हैं। यह इसलिये भी स्पष्ट है, क्योंकि दो वाहन बरामद हुए हैं, एक पजेरो और एक लैंड क्रूज़र, जिनका इस्तेमाल आतंकियों ने कठुआ से गुरदासपुर तक आने में किया।
अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि कितने आतंकवादी भारत में घुसे हैं। क्योंकि आतंकी घुसे हैं, यह 2 जनवरी को पता चला जब सुबह 3:30 बजे आतंकी हमला हुआ।
सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने उसी दिन ट्वीट करके कहा कि 5 आतंकवादी मारे गये, और ऑपरेशन समाप्त हो गया है। वह ट्वीट बाद में डिलीट कर दिया, जब पता चल कि ऑपरेशन जारी है।
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लोगों को लगा कि ऑपरेशन समाप्त हो चुका है, तभी 4 जनवरी को फिर से फायरिंग शुरू हो गई। इससे साफ है कि पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन के अंदर अब भी आतंकवादी छिपे हैं।
इंटेलीजेंस को दोष देना गलत
आम तौर पर इंटेलीजेंस ब्यूरो हर रोज अलर्ट जारी करता है। कुछ अलर्ट ऐसे होते हैं, जिन पर ऐक्शन लेने की जरूरत नहीं होती, कुछ यह चेक करने के लिये भेजे जाते हैं, ताकि पता चल सके कि पुलिस कितनी अलर्ट है। लेकिन पठानकोट के बारे में इंटेलीजेंस ने एकदम सटीम सूचना दी थी।
आतंकवादियों की कॉल ट्रेस करने के बाद इंटेलीजेंस ब्यूरो ने साफ कह दिया था कि पठानकोट पर आतंकी हमला हो सकता है। पुलिस व अन्य एजेंसियां अलर्ट हो जाये। लेकिन इस सूचना को हलके में ले लिया, जिसके चलते आतंकवादी आसानी से एयर फोर्स स्टेशन में दाखिल हो गये।
प्रशासन के लिये इससे भी ज्यादा शर्मनाक बात यह है कि जब पता चला कि गुरदासपुर के एसपी की कार आतंकियों ने चुरा ली है, तब भी कोई तत्पर्ता नहीं दिखाई गई। इंटेलीजेंस ब्यूरो ने फिर से चेतावनी जारी की, लेकिन प्रशासन शांत बैठा रहा और आतंकवादी बड़े आराम से सेना की वर्दी में कार में बैठे और एयरफोर्स स्टेशन में घुस गये।
बीएसएफ जिम्मेदार या पंजाब पुलिस
गृह मंत्रालय ने बीएसएफ और पंजाब पुलिस दोनों से इस संबंध में रिपोर्ट मांगी है। पुलिस को इस बात का जवाब देना पड़ेगा कि जब एसपी ने फोन पर बताया था कि उनकी कार आतंकवादियों ने चुरा ली है, तो पुलिस ने ऐक्शन तुरंत क्यों नहीं लिया।
बीएसएफ की जवाबदेही आतंकी घुसपैठ को लेकर होगी। जबकि जुलाई 2015 में गुरदासपुर हमले के बाद बीएसएफ की अतिरिक्त टुकड़ियां यहां तैनात की गई थीं।