रीता के भाजपा में जाने के पीछे एक गणित ये भी
रीता बहुगुणा जोशी ने कांग्रेस सिर्फ नाराजगी के कारण ही नहीं बल्कि इस वजह से भी छोड़ा है।
नई दिल्ली। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी ने तमाम नाराजगियों को जाहिर करते हुए पार्टी से इस्तीफा देकर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया।
हालांकि इससे पहले उनके भाई विजय बहुगुणा भाजपा में शामिल हो चुके थे।
जब रीता बहुगुणा कांग्रेस के यूपी इकाई की अध्यक्ष थीं तो उनके भाई विजय बहुगुणा एक कांग्रेस नेता के पास अनोखे प्रस्ताव के साथ गए थे।
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उन्होंने कहा था कि 'जिस तरह रीता यूपी कांग्रेस अध्यक्ष हैं, उन्हें भी उत्तराखण्ड इकाई का अध्यक्ष बनाया जाए और उनके भाई शेखर बहुगुणा को राज्यसभा भेजा जाए।'
कांग्रेस के रणनीतिकार और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के विश्वस्त ने विजय से कहा था कि 'अगर मैंने उनसे यह बात कह दी तो मैं अपने काम से हाथ धो बैठूंगा।'
रिश्तों के बीच नहीं आई पार्टी की निष्ठा
बहुगुणा परिवार ने पार्टी के प्रति निष्ठा को कभी रिश्तों के बीच नहीं आने दिया। परिवार में बड़े भाई विजय के संबंध रीता और शेखर के साथ संबंध हमेशा घनिष्ठ रहे।
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देखा जाए तो ये भाई-बहन अपने पिता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवंती नंदन बहुगुणा के रास्ते पर ही चल रहे हैं।
उन्होंने भी अपनी पार्टी बनाने के लिए कांग्रेस छोड़ दिया था और 1984 के लोकसभा चुनाव के दौरान इलाहाबाद में अमिताभ बच्चन से हार गए थे।
5 महीने पहले विजय आए भाजपा में
बता दें कि रीता के भाजपा में शामिल होने से ठीक 5 महीने पहले विजय शामिल हुए थे। हालांकि शेखर अभी भी कांग्रेस में हैं।
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गौरतलब है कि 2007 से 2012 के बीच रीता बहुगुणा जोशी कांग्रेस के यूपी इकाई की अध्यक्ष थीं।
ऐसा माना जा रहा था कि उनके नेतृत्व में पार्टी अपना प्रदर्शन सुधार सकती थी और वो चुनाव के दौरान बतौर ब्राह्मण पार्टी का चेहरा बन सकती थीं।
लेकिन दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को 2017 में होने वाले उत्तर प्रदेश चुनाव में कांग्रेस के चेहरा बनाने के बाद रीता पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गई थीं।
इतना ही नहीं राहुल की देवरिया से दिल्ली तक की किसान यात्रा में भी उन्हें खास तवज्जो नहीं दिया गया।