पाकिस्तान ने फिर की गोलीबारी, आरएसपुरा 1971 की जंग से भी बदतर हुए हालात
जम्मू। नापाक पड़ोसी का दर्जा प्राप्त कर चुके पाकिस्तान ने एक दिन शांत रहने के बाद शनिवार को फिर से बॉर्डर पर फायरिंग की। इस फायरिंग का भारतीय जवानों ने मुंहतोड़ जवाब दिया। भले ही ताज़ा गोलीबारी में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि इस नापाक पड़ोसी के कारण सरहद पर जिंदगियां बदतर होती जा रही हैं।
गुरुवार रात से पाकिस्तान की ओर से गोलीबारी बंद हुई लेकिन शनिवार को बिना किसी उकसावे के पाक सैनिकों ने पुंछ जिले के बनावत सेक्टर में मौजूद दस भारतीय चौकियों पर जबरदस्त फायरिंग की। पाक की ओर से दोपहर करीब एक बजे गोलीबारी की गई। जो रात तक चलती रही। नियंत्रण रेखा व अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तानी गोलीबारी के कारण सीमा से लगे जम्मू एवं कश्मीर के गांवों में रहने वाले लगभग 30 हजार लोगों की जिंदगी बद से बदतर हो गई हैं।
जम्मू, कठुआ और सांबा जिले में सीमा के आसपास रहने वाले लोगों को अपना घर छोड़कर राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर होना पड़ा है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि दोनों देशों की शत्रुता में बस केवल युद्ध की ही कमी रह गई है और यहां तोपों की आवाजाही और युद्धक विमानों की गड़गड़ाहट नहीं गूंजी है। जम्मू एवं कश्मीर में नियंत्रण रेखा तथा अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तानी मोर्टारों ने आठ नागरिकों की जान ले ली है, जबकि 60 लोग घायल हुए हैं। घायल होने वालों में पांच सुरक्षाकर्मी भी हैं, जिसमें चार सेना का जवान और एक सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का जवान है।
महत्वपूर्ण बिंदु
- पाकिस्तानी सेना और अर्धसैनिक रेंजरों ने बीते पांच दिनों में 35 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया है।
- सीमा पर रहने वाले ग्रामीणों का जीना मुहाल हो चुका है। गांव के सैंकड़ों लोग दहशत में जी रहे हैं।
- 1971 के युद्ध के दौरान आर.एस.पुरा इलाके में हुई गोलीबारी से भी यह बदतर स्थिति है।
- गांवालों ने अपना सबकुछ पीछे छोड़ दिया है और आईटीआई की इमारत में शरण ले रखी है।
- केंद्र की नई सरकार ने वादा किया था कि सीमा पर शांति होगी। इसीलिये भाजपा को वोट भी मिले।
- जम्मू, सांबा और कठुआ जिले में सीमा पर बसे गांवों में रहने वाले लोगों के लिए 30 राहत शिविर बनाए गए हैं।
- प्रभावित गांवों के कई ग्रामीणों की मानें तो दोनों देशों की शत्रुता में बस केवल युद्ध की ही कमी रह गई है।
- अब केवल एक ही चीज की कमी रह गई है कि यहां तोपों की आवाजाही और युद्धक विमानों की गड़गड़ाहट नहीं गूंजी।
क्या बोले उमर अब्दुल्ला
कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पाकिस्तान का यह आक्रामक रवैया केवल इसलिए है, क्योंकि बीते महीने संयुक्त राष्ट्र की महासभा में कश्मीर मुद्दे को उठाकर पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ लोगों का ध्यान आकर्षित करने में नाकामयाब रहे। भारत ने यह कहकर फ्लैग मीटिंग से इंकार कर दिया कि जब तक पाकिस्तान की तरफ से गोलीबारी नहीं रुकती, ऐसा करना संभव नहीं है।