पुंछ और माछिल सेक्टर आर्मी के लिए सिरदर्द, आतंकियों के लिए वरदान
आसान नहीं है इंडियन आर्मी के लिए जम्मू कश्मीर के माछिल और पुंछ सेक्टर। हमेशा कई बार इन्हीं जगहों से होती है घाटी में घुसपैठ की कोशिशें।
श्रीनगर। मंगलवार को जम्मू कश्मीर के माछिल सेक्टर में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में तीन जवान शहीद हो गए। एलओसी पर स्थित माछिल हो या पुंछ दोनों ही हमेशा से इंडियन आर्मी के लिए सिरदर्द वाले इलाके रहे हैं। माछिल कुपवाड़ा में स्थित है और लोलाब घाटी के करीब है।
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घना जंगल और खराब मौसम
पिछले माह अक्टूबर में मनदीप सिंह के शव साथ माछिल में ही पाकिस्तान से आए आतंकियों ने बर्बर व्यवहार किया था।
इससे पहले छह जनवरी 2013 को पुंछ में इंडियन आर्मी के जवान हेमराज का सिर काट कर पाक आतंकी अपने साथ ले गए थे।
माछिल और पुंछ से हमेशा से ही आतंकी दाखिल होने की कोशिशों में लगे रहते हैं।
नेशनल काउंटर टेररिज्म अथॉरिटी की ओर से जानकारी दी गई है कि पिछले तीन माह में अकेले माछिल में आतंकियों ने चार बार घुसपैठ की कोशिशें की हैं।
माछिल और पुंछ दोनों ही काफी मुश्किल इलाके हैं क्योंकि यहां पर घना जंगल है और मौसम हमेशा खराब रहता है।
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घने जंगलों में छिपते आतंकी
माछिल 6,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है तो पुंछ करीब 3500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। पाक से आने वाले आतंकी इसी रास्ते का प्रयोग जम्मू कश्मीर में पहुंचने के लिए करते हैं।
घना जंगल अक्सर सेना और सुरक्षाबलों के लिए मुश्किलें पैदा करता है। पाक के आतंकी जब कुपवाड़ा के माछिल में आते हैं तो इस घने जंगल को अपने छिपने के लिए प्रयोग करते हैं।
कुपवाड़ा के माछिल से एलओसी सिर्फ 50 से 80 किमी की दूरी पर ही है। इस वर्ष जुलाई में घाटी में विरोध प्रदर्शन के शुरू होने से पहले जम्मू कश्मीर सरकार की एजेंसी ने हंदवाड़ा में घुसपैठ के दो नए ठिकानों का पता लगाया था।
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कुपवाड़ा, बांदीपोर और बारामूला का रास्ता
एजेंसी ने काउबोल गली, सरदारी, सोनार, केल, राट्टा पानी, शार्दी, तेजियान, दुधीनियाल, काटवाड़ा, जूरा और लिपा घाटी के तौर पर इनकी पहचान की थी।
एजेंसी ने बताया था कि ये आतंकियों के लिए सबसे सक्रिय रास्ते हैं और वे इनका प्रयोग कुपवाड़ा, बांदीपोर और बारामूला जिले में दाखिल होने के लिए करते हैं।
एजेंसी के मुताबिक आतंकी शार्दी, राट्टा पानी, केल, तेजियान और दुधीनियाल के रास्ते एलओसी पार करते हैं और फिर माछिल में दाखिल होते हैं।
पिछले वर्ष दिसंबर में माछिल में ही 41 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष महादिक आतंकियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हो गए थे।
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माछिल से घाटी में आते आतंकी
आतंकी हाइहामा और कारारुस के घने जंगलों में छिपे थे और उनकी तलाश शुरू की गई। इस स्पेशल ऑपरेशन में 700 सैनिक और स्पेशल फोर्सेज के पैराट्रूपर्स की मदद तक ली गई थी।
कई विदेशी आतंकी कुपवाड़ा में मौजूद हैं और वह माछिल के जरिए घाटी में दाखिल होने की कोशिशें करते हैं।