नज़रिया: गोवा की राजनीति में मनोहर पर्रिकर के बाद कौन?
गोवा में बीजेपी के भीतरखाने यह बात चल रही है कि मनोहर पर्रिकर के बदले किसी दूसरे व्यक्ति को बाहर से लाकर मुख्यमंत्री बना दिया जाए.
इसके अलावा जो दो महत्वपूर्ण सहयोगी दल महाराष्ट्र गोमंतक पार्टी और गोवा फॉरवर्ड पार्टी हैं, इनके विधायकों को भी बीजेपी में शामिल करने की बात सामने आ रही है.
गोवा की विधानसभा में कुल 40 सीटें हैं, इन 40 सीटों में सबसे बड़ी संख्या कांग्रेस के पास है. उनके विधायकों की संख्या 16 है. हालांकि सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस सरकार नहीं बना सकी.
दूसरी तरफ बीजेपी के विधायकों की संख्या 14 है. लेकिन वे सरकार बनाने में कामयाब रहे थे क्योंकि उनके साथ तीन विधायक गोवा फॉरवर्ड पार्टी के, तीन महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी के, तीन निर्दलीय और एक नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के विधायक शामिल थे.
इस तरह अकेली पार्टी के रूप में बहुमत नहीं मिलने पर भी बीजेपी ने गोवा गठबंधन की सरकार बनाई.
लेकिन मौजूदा हालात ऐसे हैं कि मनोहर पर्रिकर सहित तीन मंत्री फिलहाल अस्पताल में हैं. ऐसे में बीजेपी के कुल विधायकों की संख्या 11 रह गई है. इनमें से एक सदन के अध्यक्ष हैं. यानी नंबर संख्या के लिहाज़ से बीजेपी विधायकों की संख्या महज 10 है.
इनमें अगर बीजेपी के सहयोगियों को भी मिला लें तो उनकी संख्या 18 तक ही पहुंचती है.
दूसरी तरफ, कांग्रेस के 16 विधायक हैं. इसके अलावा उनके समर्थक 1 निर्दलीय और 1 नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के विधायक को मिलाकर भी उनकी कुल संख्या 18 ही बनती है.
ऐसे हालात में दोनों ही खेमों में बराबर संख्या बनती हुई दिख रही है.
एक बार फिर बीजेपी की तरफ देखें. उनको समर्थन करने वाली महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी और गोवा फॉरवर्ड पार्टी ने साफ़ और स्पष्ट तौर पर मनोहर पर्रिकर के नाम पर ही उन्हें समर्थन किया था.
उस समय इन पार्टियों का कहना था कि हम सिर्फ़ मनोहर पर्रिकर को समर्थन दे रहे हैं, भाजपा को समर्थन नहीं दे रहे.
मनोहर पर्रिकर के बीमार होने की स्थिति में उनकी जगह किसी दूसरे के नाम पर चर्चा होती है तो ये दोनों पार्टियां अपना समर्थन वापस ले सकती हैं.
इसके बाद अगर निर्दलीय विधायक और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी कांग्रेस को अपना समर्थन दे देती हैं तो वो सरकार बनाने की स्थिति में पहुंच जाएगी.
पर्रिकर के बिना संकट में बीजेपी
पर्रिकर के न रहने पर बीजेपी के लिए जो संकट जैसे हालात पैदा हो रहे हैं उसी से निपटने के लिए बीजेपी के तीन केंद्रीय पर्यवेक्षक गोवा पहुंचे थे और यहां उन्होंने बीजेपी के सभी विधायकों के अलावा सहयोगी दलों के विधायकों से भी मुलाक़ात की थी.
और अब दिल्ली में अमित शाह इस बात का फ़ैसला करेंगे कि गोवा के इस संकट से कैसे बाहर निकला जाएगा.
अमित शाह को यह भी रणनीति बनानी है कि मनोहर पर्रिकर के अलावा अगर कोई दूसरा चेहरा मुख्यमंत्री पद के लिए तय करना पड़ा तो किस तरह से सहयोगी दलों को साथ रखा जाए.
क्या होंगे कदम
गोवा में बीजेपी के भीतरखाने यह बात चल रही है कि मनोहर पर्रिकर के बदले किसी दूसरे व्यक्ति को बाहर से लाकर मुख्यमंत्री बना दिया जाए.
इसके अलावा जो दो महत्वपूर्ण सहयोगी दल महाराष्ट्र गोमंतक पार्टी और गोवा फॉरवर्ड पार्टी हैं, इनके विधायकों को भी बीजेपी में शामिल करने की बात सामने आ रही है.
और अगर इनमें से कुछ भी नहीं हो पाया तो आखिरी रास्ता राष्ट्रपति शासन लागू करना ही बच जाएगा. हालांकि खुले तौर पर अभी बीजेपी की तरफ़ से कोई भी साफ़-साफ़ नहीं बोल रहा है कि वो क्या कदम उठाएंगे.
पर्रिकर नहीं तो दूसरा कौन
बीजेपी की जहां तक बात है वो अक़्सर उन्हीं लोगों को मुख्यमंत्री बनाती है जो आरएसएस की पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते हैं.
इस नज़रिए से देखा जाए तो गोवा में इस वक़्त आरएसएस से आने वाला एक चेहरा नज़र आता है, उनका नाम है प्रमोद सावंत. वो फिलहाल विधानसभा के अध्यक्ष भी हैं.
प्रमोद सावंत दो बार विधायक बन चुके हैं, इससे पहले वे भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष भी थे.
हालांकि पार्टी के भीतर ही प्रमोद सावंत को विरोध का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि कहा जाता है कि वो अभी बहुत नए हैं.
उनके अलावा श्रीपद नाइक भी एक नाम हैं जो मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल हो सकते हैं.
जो इस वक़्त केंद्र सरकार में आयुष मंत्री हैं. उन्हें वापस बुलाकर राज्य की ज़िम्मेदारी सौंपी जा सकती है.
पर्रिकर अस्पताल में, तो सरकार कौन चला रहा?
गोवा की राजनीति में मनोहर पर्रिकर एक ऐसा नाम हैं जिसे हर कोई पहचानता है.
सिर्फ़ उन्हीं के नाम पर बीजेपी को गोवा में सरकार बनाने का मौका मिल गया. अगर वो ना होते तो बीजेपी की सरकार भी नहीं बनती. गोवा में उनका एक अलग ही करिश्मा है.
बीमारी के चलते पर्रिकर को काफी सारा वक़्त अस्पताल में देना पड़ रहा है, कुछ समय पहले वे इलाज करवाने अमरीका भी गए थे.
उस समय उन्होंने अपने तीन मंत्रियों के साथ एक टीम बनाई थी जिसमें बीजेपी के एक मंत्री, गोवा फॉरवर्ड के एक मंत्री और महाराष्ट्र गोमंतक पार्टी के एक मंत्री शामिल थे.
यह टीम पर्रिकर को सरकार चलाने के लिए सलाह देती थी, हालांकि अंतिम निर्णय पर्रिकर ही लेते थे.
यह टीम अपनी सलाह या मशविरा उन्हें ई-मेल करती थी, और मेल के ज़रिए ही पर्रिकर फ़ैसले भी लेते थे.
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