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पीएम मोदी जी ये राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं तो क्या है?

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नई दिल्ली। राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर केंद्र सरकार को काफी संवेदनशील होने की जरूरत होती है। पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने दाउद इब्राहीम के बारे कहा था कि वह उसे भारत वापस ले आयेंगे। शिंदे के इस बयान पर उस वक्त नरेंद्र मोदी ने कड़ी आपत्ति जताई थी और अपने चुनावी भाषणों में कहा था कि अमेरिका ने लादेन को मारने से पहले पाकिस्तान को सूचित नहीं किया था।

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लेकिन शिंदे के उस बयान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकरा ने भी कुछ ऐसा ही काम किया है। राजस्थान में तीन दिन की की आतंक विरोधी एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्घाटन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने किया था। इसके साथ ही इस कार्यक्रम में एनएसए अजित डोवाल सहित कई केंद्रीय मंत्री, आला अधिकारियों, पत्रकारों और सुरक्षा विशेषज्ञों ने इसमें हिस्सा लिया था।

इस कार्यक्रम के दौरान कई लोगों ने अपने विचार प्रस्तुत किये। आतंकवाद के मुद्दे पर भी इस कार्यक्रम में चर्चा की गयी साथ ही इस बात की भी चर्चा की गयी आतंकी वारदातों से कैसे निपटा जाए। लेकिन ऐसे में सवाल यह उठता है कि देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ऐसे कार्यक्रमों में कैसे हिस्सा ले सकते हैं।

एनएसए देश की सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों पर योजनायें बनाते हैं ऐसे में उनके दिमाग में क्या चल रहा है इस बात को एक ऐसे मंच पर खुलासा करना क्या देश की सुरक्षा के साथ समझौता नहीं है। यही नहीं देश के एनएसए को मीडिया की सुर्खियों में आने से बचना चाहिए लेकिन इस कार्यक्रम में हिस्सा लेकर ऐसा करने से डोवाल को बचना चाहिए था।

डोवाल ने जिस तरह से इस कार्यक्रम में में आतंकवाद पर अपने सुझाव या राय रखी वह चिंता का विषय है। गौरतलब है कि इस कार्यक्रम में पाकिस्तान के भी पत्रकार मौजूद थे। भारत के लिए आतंकवाद सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है ऐसे में डोवाल का ऐसे कार्यक्रमों में हिस्सा लेना केंद्र सरकार पर सवाल उठाता है।

अजीत डोवाल को देश के काबिल व्यक्तियों में शुमार किया जाता है। उनकी क्षमताओं पर किसी को संदह नहीं हो सकता है। ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि वह देश की सुरक्षा से जुड़ी अहम गुत्थियों को सुलझाने में अपना समय और क्षमता लगायेंगे।

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English summary
NSA Doval at an academic session on counter-terrorism: Sorry, it is a wrong signal, Dowal should avoid to attend such program as he is head of national security
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