सारदा और बर्दवान वाले पश्चिम बंगाल में 2,500 करोड़ का पोर्ट स्कैम!
कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के लिए सारदा घोटाले से अलग एक और घोटाले के बाद मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।
विकास की बातें करने वाली ममता
विकास की बड़ी-बड़ी बातें करने वाली ममता बनर्जी को शायद इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि कैसे उनकी नाक के नीचे उनके ही राज्य को हजारों करोड़ों रुपयों की चपत लगाई जा रही थी।
इतना ही नहीं घोटाले की आड़ में एक और घोटाले को अंजाम दिया जा रहा था। सीबीआई को पोर्ट स्कैम का पता लगा है और यह स्कैम ममता के लिए नई मुसीबतें लेकर आ सकता है।
राज्य को 2,500 करोड़ का नुकसान
सीबीआई को पहली नजर में इस घोटाले में श्रंजॉय बोस के साथ ही तृणमूल कांग्रेस के कई सदस्यों के शामिल होने के पक्के सुबूत मिले हैं। इस मामले की जांच कर रही है सीबीआई की ओर से कहा गया है कि उसकी ओर से घोटाले की वजह से हुए नुकसान के बारे में अनुमान लगाया है और पिछले डेढ़ साल में राज्य को करीब 2,500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।
पीएमओ ने मांगी है रिपोर्ट
टीएमसी के कई नेताओं की वजह से इस घोटाले के बारे में कई दिनों तक किसी को कुछ भी पता ही नहीं लग पाया। अब जबकि सीबीआई की ओर से इस मामले की जांच की जारी है तो इसमें कई नए खुलासे हो रहे हैं।
सारदा घोटाले की जांच में लगी सीबीआई पोर्ट स्कैम की भी जांच तेजी के साथ कर रही है। पिछले कुछ दिनों में पश्चिम बंगाल को पहले सारदा और फिर बर्दवान ब्लास्ट की वजह से पूरे देश में शर्मिंदगी झेलनी पड़ी है।
अब पीएमओ ने भी सीबीआई से जांच की रिपोर्ट मांगी है और ऐसेा लग रहा है कि सीबीआई इस मामले को जल्द से जल्द से जल्द पूरा कर इसमें इंसाफ देने की पूरी कोशिश कर रही है।
श्रंजॉय की मुश्किलें बढ़ीं
वहीं दूसरी तरफ टीएमसी के सासंद श्रंजॉय बोस के बुरे दिन लगता है इतनी आसानी से खत्म नहीं होने वाले।
राज्यसभा में टीएमसी के सांसद श्रंजॉय बोस को पिछले दिनों सारदा घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया जा चुका है। अब सीबीआई पोर्ट स्कैम में भी उन पर फंदा कसने की तैयारी कर चुकी है।
सीबीआई के मुताबिक बोस, इस घोटाले में सबसे ज्यादा फायदा पाने वाली कंपनी रिप्ली एंड को के निदेशकों में से एक हैं और उन्हें सबसे ज्यादा फायदा मिला है।
सीबीआई को अपनी जांच में इस बात के बारे में पता लगा है कि राज्य के खजाने पर इस घोटाले का खासा असर पड़ा और करोड़ों रुपयों के इस घोटाले की वजह से खजाना खाली होने की नौबत आ गई। बिना किसी टेंडर के प्राइवेट एजेंट्स को नौकरी दी गई थी।
इसका मतलब यह हुआ कि रिप्ली एंड को बिना किसी टेंडर के कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के सौदों को डील कर रहा था। साफ है कि इस कंपनी की ओर से कमाई गई रकम की एक भी पाई राज्य सरकार तक नहीं पहुंची और जिसकी वजह से उसे खासा नुकसान हुआ।
मनमोहन
फिर
रहे
'मौन'
इस
घोटाले
के
बारे
में
सबसे
पहले
आरोप
उस
समय
लगने
शुरू
हुए
जब
मनमोहन
सिंह
देश
के
प्रधानमंत्री
थे।
उनके
कार्यकाल
के
दौरान
एक
आधिकारिक
शिकायत
भी
दर्ज
कराई
गई
थी
लेकिन
इन
सबके
बावजूद
वह
शांत
ही
रहे।
जब केंद्र में बीजेपी की सरकार आई तो मनसुखभाई धानजीभाई वासव, जो ट्राइबल अफेयर्स के मंत्री हैं, उनकी ओर से फिर से एक शिकायत दर्ज कराई गई। फिर बीजेपी सरकार ने सीबीआई को इसकी जांच की जिम्मेदारी दी।