अब केरल में तैयार हो रहा है नक्सलियों का मजबूत नेटवर्क
कोच्चि। छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और झारखंड के बाद अब केरल में नक्सली हावी हो रहे हैं और यह बात सुरक्षा एजेंसियों के लिए सिरदर्द बन गई है। केरल में नक्सली सिर उठा रहे हैं इसका पता उस समय चला जब पुलिस और नक्सलियों के बीच दो दिन पहले वेलामुंडा पुलिस सीमा पर गोलीबारी की घटना हुई। इस घटना के बाद इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि केरल में नक्सली पिछले कुछ वर्षों से अपनी पकड़ मजबूत बनाने की कोशिशों में लगे हैं।
फिर से सिर उठा रहे है नक्सली
केरल में नक्सली पिछले कुछ समय से शांत थे और अब ऐसा लग रहा है कि वह फिर से सिर उठाने लगे हैं। इस बात के भी पक्के सुबूत हैं कि जल्द ही केरल में नक्सल अपनी वापसी को लेकर ऐलान भी कर सकते हैं।
पूर्व में केरल देश के ऐसे राज्य के तौर पर जाना जाता है जिसने हमेशा ही इस समस्या का डटकर मुकाबला किया है। लेकिन अब लग रहा है कि नक्सल अपनी मजबूती वापसी दर्ज कराने के लिए बेकरार हैं और इसके लिए उन्होंने नॉर्दन केरल को चुना है।
कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में नक्सली बुरी तरह से पराजित हुए हैं। जिस समय इन राज्यों में नक्सलियों के खात्मे के लिए मुहिम चलाई गई थी, उस समय उनकी ओर से कई चेतावनियां जारी की गई थी।
इस बात की संभावना है कि आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से निकलकर नक्सलियों ने केरल में अपना ठिकाना बना लिया है। वह अपने आंदोलन को और मजबूत बनाने की पूरी कोशिशरें में लगे हैं। केरल पहले से ही इस्लामिक आतंकवाद से जूझ रहा है।
नक्सलियों के पास एडवांस हथियार
पुलिस और इंटेलीजेंस ब्यूरों की जो रिपोर्ट्स वनइंडिया के पास है उस पर अगर यकीन किया जाए तो यह साफ हो जाता है कि केरल में नक्सलियों के पास बहुत ही उन्नत किस्म के हथियार हैं।
उनके पास हथियारों की कोई कमी नहीं है। तमिलनाडु में गुमनाम बंदरगाहों से होने वाली हथियारों की सप्लाई उन्हें काफी मदद पहुंचा रही है। तमिलनाडु से आने वाली रिपोर्ट की मानें तो राज्य में ऐसे बंदरगाहों पर स्मगलिंग की गतिविधियां काफी समय से चल रही हैं।
रिपोर्ट में तो राज्य के कोड्डीकाराई पोर्ट का भी जिक्र था जहां से सबसे ज्यादा हथियार गैरकानूनी गतिविधियों के लिए भेजे जाते हैं। भारी संख्या में आने वाले हथियारों को केरल के जंगल में भेज दिया जाता है। यहां से नक्सल और आतंकी संगठन इन हथियारों को हासिल कर लेते हैं।
वह दौर अलग था जब नक्सल पुलिस स्टेशनों से बंदूकें चुरा कर उन्हें हमले के लिए प्रयोग करते थे। आज यह हथियार उनके लिए पुलिस पर हमले करने का जरिया तो हैं ही साथ ही साथ इन हथियारों को बाहर भेज कर बड़ी मात्रा में पैसा भी कम रहे हैं।
अधिकारियों की मानें तो श्रीलंका के स्मगलरों से मिलने वाले इन हथियारों की सप्लाई का रैकेट काफी बड़ा है और इन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में भेजा जा रहा है।
40 मोस्ट वांटेड की लिस्ट तैयार
आईबी की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक आज इस्लामिक आतंकवाद की ही तर्ज पर नक्सल राजनीतिक फायदा उठाने लगे हैं। पुलिस की ओर से 40 मोस्ट वांटेड लोगों की लिस्ट तैयार की गई है। यह वह 40 लोग है जिन पर केरल के अलग-अलग इलाकों में इस तरह की गतिविधियों को संचालन करने का आरोप है।
नक्सली इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि वह पांच के समूह में अपनी गतिविधियों को संचालित करें।
यह नक्सलियों के टॉप नेता माने जाते हैं। केरल के गृहमंत्री कीरमेश चेन्नीथला ओर से इस बात का भरोया दिलाया गया है कि पुलिस अपना काम कर रही है और लोगों को परेशान होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है।
कैसे काम करते हैं नक्सली
- नॉर्दन केरल के घने जंगलों में कॉम्बेट ऑपरेशन चलाने के लिए सरकार की ओर से मंजूरी दे दी गई है।
- केरल के पास नक्सलियों से निबटने के लिए एक स्पेशल फोर्स है।
- यह फोर्स लोकल पुलिस के साथ मिलकर उनके खिलाफ ऑपरेशन चलाती है।
- जिस तरह से नक्सल हमले कर रहे हैं उससे सिर्फ एक ही बात साफ होती है कि उनका मकसद सरकार को कड़ा मकसद देना है न कि लोगों की जान लेना।
- फिलहाल यह सिर्फ उनकी शुरुआत है और उन्हें यहीं पर रोकना काफी जरूरी है।
- नक्सल केरल के मल्लपुरम, कान्नूर, अट्टापदी और कोझीकोड में मौजूद हैं।
- ये वही इलाके हैं जहां पर पहले से ही इस्लामी आतंकी संगठन काम कर रहे हैं।
- नक्सल गैंग के रूप में काम करते हैं और गांव वालों को शामिल करते हैं।
- गांववालों के साथ होने वाली मीटिंग में यह उनका ब्रेनवॉश करने का काम करते हैं।
- यह गांववालों से उस इलाके में हो रही पुलिस की गतिविधियों के बारे में भी बताने का काम करते हैं।
- अगर गांव वाले मना करते हैं तो नक्सली अपनी बात मनवाने के लिए उन्हें डराते भी हैं।
- गांव वालों से मिली जानकारी के आधार पर ही पुलिस के एक्शन को भी फेल कर देते हैं।