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मंडी हादसा: सिर्फ एक बांध से पानी छोड़ा जाता तो बच जाते छात्र मगर...

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देहरादून। ब्यास नदी हादसे ने एक और सच उगला है। हैदराबाद से आए 24 छात्रों और एक टूर गाइड के ब्यास में बहने के पीछे न सिर्फ लारजी बल्कि पार्वती पावर प्रोजेक्ट की भी भूमिका सामने आ रही है। लारजी का पानी छोड़ने से ठीक पहले पार्वती बांध से पानी छोड़ा गया था। यानि एक साथ दो बांधों से पानी छोड़ा गया था। इसी के कारण इतनी बड़ी तबाही हो गई।

दोनों बांधों से छोड़े गए पानी के चलते ब्यास का जलस्तर एकाएक इतना बढ़ गया था कि इंजीनियरिंग छात्रों को संभलने का मौका ही नहीं मिला। अभी तक सभी इस हादसे के लिए लारजी प्रोजेक्ट प्रबंधन की लापरवाही ही मान रहे थे। मगर जांच में पता चला कि दूसरे प्रोजेक्ट में भी लापरवाही बरती गई थी‌।

क्यों छोड़ा गया पार्वती प्रोजेक्ट से पानी-

सामने आ रहा है कि ग्रिड फेल होने से बचाने के लिए सबसे पहले पार्वती प्रोजेक्ट से पानी छोड़ा गया। उसके ठीक कुछ समय बाद लारजी बांध से पानी छोड़ा दिया गया। ऐसी स्थिति में दोनों बांधों के पानी की गति काफी तेज हो गई, जिसका नतीजा रहा कि हैदराबाद से आए 24 छात्रों और एक टूर गाइड लहर के कहर में जान गंवा बैठे।

मोदी की एक्सट्रा क्लास

दरअसल दोनों डैम के बीच की दूरी लगभग 60 किलोमीटर के आसपास है। ऐसे में पार्वती से लारजी तक पानी पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगा। इस सच सरकार के आला अधिकारी भी स्वीकार कर रहे हैं। प्रदेश सरकार के प्रधान सचिव ऊर्जा एसकेबीएस नेगी का कहना है कि पार्वती बांध से 250 क्यूमैक्स पानी छोड़ा गया था। जबकि, लारजी में पहले से ही पानी था, जिसे छोड़ने के लिए स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर की ओर से निर्देश दिए गए थे।

Comments
English summary
Now it is said that Parvati Project also responsible for mandi tragedy
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