घरेलू हिंसा के मामलों में अब एक महिला दूसरी महिला के खिलाफ भी दर्ज करा सकेगी केस
नई दिल्ली। अब प्रोटेक्शन ऑफ वूमेन अगेंस्ट डोमेस्टिक वाइलेंस एक्ट के तहत घरेलू हिंसा का मामला सिर्फ पुरुषों के खिलाफ ही नहीं, बल्कि महिलाओं के खिलाफ भी दर्ज हो सकेगा। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी मंजूरी दे दी है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब एक महिला किसी दूसरी महिला के खिलाफ भी घरेलू हिंसा का मामला दर्ज करा सकती है। अभी तक प्रोटेक्शन ऑफ वूमेन अगेंस्ट डोमेस्टिक वाइलेंस एक्ट के तहत सिर्फ जवान पुरुष (adult male) के खिलाफ ही घरेलू हिंसा का मामला दर्ज किया जा सकता था।
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अभी तक इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि किसी महिला ने दूसरी महिला के खिलाफ घरेलू हिंसा की है या फिर किसी पुरुष ने, कानून के तहत सिर्फ पुरुष के खिलाफ ही घरेलू हिंसा का मामला दर्ज होता था।
लेकिन जस्टिस कुरियन जोसेफ और रोहिंटन एफ नरीमन की बेंच ने गुरुवार को यह फैसला लिया कि अब कोई महिला किसी दूसरी महिला के खिलाफ भी घरेलू हिंसा का मामला दर्ज करा सकती है।
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बेंच ने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो जिस लिए अदिनियम को लागू किया गया है, वह पूरा नहीं हो सकेगा। कानून की इस कमी का लाभ उठाकर घर के पुरुष घर की महिलाओं को हिंसा के लिए भड़काएंगे और कानून के मुताबिक किसी महिला पर घरेलू हिंसा का केस दर्ज नहीं हो सकेगा।
अधिनियम के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए बेंच ने कहा कि परिजनों में न केवल परिवारि के पुरुष आते हैं, बल्कि परिवार की महिलाएं भी आती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने जवान पुरुष शब्द को काट दिया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा- अधिनियम की धारा 2 (Q) में लिखे गए 'जवान पुरुष' शब्द को हम काटते हैं और उसकी जगह 'व्यक्ति' लिखते हैं, क्योंकि यह शब्द महिला और पुरुष में भेदभाव करता है।
कोर्ट ने अपनी बात पर यह भी कहा कि संविधान का अनुच्छेद 14 सभी को समानता का अधिकार देता है, इसलिए इस शब्द को फिर से परिभाषित किया जाता है।
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