दिवाली पर पटाखे: मजा थोड़ा, खतरा बहुत ज्यादा
नई दिल्ली। पटाखे फोड़ने पर हम जितना रोमांचित होते हैं, उससे कहीं ज्यादा ये हमारे लिए खतरा पैदा कर जाते हैं। दिल्ली का प्रवीण सेन दिवाली पर ढेर सारे पटाखे फोड़ने के लिए बेताब है, मगर उसके पिता बेहद चिंचित हैं। उन्हें चिंता इस बात की है कि पटाखों के बारूदी धुएं से स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। फेफड़े व त्वचा में संक्रमण के साथ ही इनसे जलने का भी डर रहता है। श्वांस संबंधी समस्याओं और जलने के बढ़ते मामलों के कारण डॉक्टर लोगों को सावधानी बरतने की सलाह देते हैं।
यहां के बीएलके अस्पताल में सीनियर कंसल्टेंट विकास मौर्या ने बताया कि जिन लोगों को श्वांस संबंधी पुरानी समस्या है, वे अपनी दवा नियमित रूप से लें और हो सके तो दवा की डोज बढ़ा दें। साथ ही नियमित रूप से डॉक्टर के पास जाकर जांच कराएं। ऐसे लोगों को भारी मात्रा में पटाखे फूटने वाले स्थानों से बचना चाहिए। विशेषज्ञों के मुताबिक, भारी और ढीले कपड़े, जैसे- साड़ी, अनारकली, फ्रॉक्स और ऐसे कपड़े जिनमें आग जल्दी पकड़ने का डर हो, उन्हें पहनने से बचना चाहिए।
पीएसआरआई अस्पताल में आंख और कान के विशेषज्ञ डॉक्टर बी.एम. अबरोल ने कहा कि पटाखे हाथ में नहीं फोड़ें तथा बच्चों और बूढ़ों को उससे दूर रखें। अल्पवयस्कों को भी बड़ों की मौजूदगी में पटाखे फोड़ने चाहिए। अबरोल ने चेताते हुए कहा कि खोया और दूध से बनी मिठाई न तो खुद खाएं और न ही किसी को उपहार में दें। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षबर्धन ने 16 अक्टूबर को दिल्ली के राज्यपाल नजीब जंग को एक ईमेल संदेश भेजकर अनुरोध किया था कि वह लोगों से दिल्ली में ध्वनि प्रदूषण रहित दिवाली मनाने की अपील करें।
उन्होंने यह ईमेल 2005 में दिए गए सर्वोच्च न्यायालय के उस आदेश के आधार पर लिखा, जिसमें कहा गया था कि रिहायशी इलाकों में पटाखे फोड़ना वर्जित है। इंद्रप्रस्थ अपोलो में सीनियर कंसल्टेंट के तौर पर काम करने वाले डॉक्टर राजेश चावला ने आईएएनएस से कहा, "दिवाली में हमें अपने साथ फर्स्ट-एड किट रखनी चाहिए, ताकि अगर कोई जल जाए तो उसका प्राथमिक उपचार तुरंत किया जा सके।"