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राज्यसभा से तमिलनाडु के किसानों को नहीं मिला कोई आश्वासन, मुंह में सांप दबा कर रहे प्रदर्शन

दिल्ली के जंतर मंतर पर 19 दिनों से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार की ओर से ना तो उनकी मांगों को फिलहाल माना गया है ना ही उस पर कोई खास प्रतिक्रिया है।

By Rahul Sankrityayan
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नई दिल्ली। बीते 19 दिनों से दिल्ली के जंतर मतंर पर तमिलनाडु के किसान अपनी मांगों को लेकर अधनंगी अवस्था में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। हालांकि अभी तक उनकी मांग पर ना तो उन्हें कोई आश्वासन दिया गया है ना ही उनकी मांग को खारिज किया जा रहा है। दक्षिण भारत से लगभग हर नेता जो इन दिनों दिल्ली आ रहा है वो उनसे मिलने जरूर आ रहा है। उसके पास भी सिर्फ आश्वासन ही है।

हालांकि सरकार ने कहा वो हैं संवेदनशील

हालांकि सरकार ने कहा वो हैं संवेदनशील

बुधवार को इस प्रदर्शन का नया रूप देखने को मिला। जब धरने पर मौजूद किसानों ने मरे हुए सापों को काट कर अपने होठों के बीच दबा रखा था। दूसरी ओर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में कहा कि सरकार किसानों की दिक्कतों के प्रति संवेदनशील है।

निर्मला सीतारमण ने कहा

निर्मला सीतारमण ने कहा

निर्मला ने कहा कि वित्त मंत्री अरूण जेटली, कृषि मंत्री राधामोहन सिंह और जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने किसानों की दिक्कतों के विषय पर कई प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की है। निर्मला ने सदन में कहा कि बुआई की गई फसल का बीमा ना मिलने के मामले पर गौर किया जा रहा है और बीमे का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है। निर्मला के मुताबिक तमिलनाडु को उसका सही हक मिल रहा है।

लेकिन ऋण माफी पर नहीं कोई टिप्पणी

लेकिन ऋण माफी पर नहीं कोई टिप्पणी

राज्यसभा में कई सदस्यों की ओर जोर दिए जाने के बाद भी निर्मला ने किसानों के ऋण माफी पर एक शब्द टिप्पणी नहीं की। इस दौरान सदन में कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्स) के नेता सीतराम येचुरी ने कहा कि किसानों का ऋण माफ किया जाना चाहिए। वो चूहे खाने को विवश हो गए हैं। कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के टीके रंगराजन ने कहा कि तमिलनाडु में पानी का संकट है। इसके साथ ही मवेशियों के लिए चारे का भी संकट पैदा हो गया है।

32 जिले सूखा घोषित

32 जिले सूखा घोषित

बता दें कि तमिलनाडु में ई पलानीसामी की सरकार ने 2 हजार 247 करोड़ रुपए का सूखा राहत पैकेज देने की बात कही हालांकि किसान इसे कम मान रहे हैं। दरअसल, तमिलाडु के किसान इसलिए बदहाल हैं क्योंकि उत्तर पूर्वी मानसून में बारिश की कमी है। यहां बीते साल अक्टूबर से दिसंबर तक हुई बारिश में 140 मिलीमीट की कमी रिकॉर्ड दर्ज की गई है। आंकड़ों की मानें तो यहां इतनी कम बारिश इससे पहले साल 1876 में हुई थी। इतना ही नहीं राज्य के सभी 32 जिलों को सूखा ग्रस्त घोषित कर दिया है।

2,728 किसान कर चुके हैं आत्महत्या

2,728 किसान कर चुके हैं आत्महत्या

किसानों से जुड़ी एक संस्था के अनुसार साल 2016 से अब तक 250 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि सिर्फ कावेरी डेल्टा के 8,000 एकड़ की फसलें खराब मानसून के चलते चौपट हो गई हैं। बता दें कि साल 2015 में यहां 600 से अधिक किसानों ने मौत को गले लगाया। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक साल 2011 से 2015 तक तमिलनाडु में 2,728 किसानों ने आत्महत्या की।

जंतर मंतर पर की थी आत्महत्या की कोशिश

जंतर मंतर पर की थी आत्महत्या की कोशिश

इतना ही नहीं रविवार को (26 मार्च) प्रदर्शन के दौरान दो किसानों ने आत्महत्या करने की कोशिश की। रमेश के नाम के किसानों ने कहा कि हम लोग यहां 17 दिन से यहां धरने पर बैठे हैं लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की और पूरे राज्य को सिर्फ 2,000 करोड़ रुपए ही दिए। मंत्री यहां आते हैं, हमें आश्वासन देते हैं कि वो कुछ करेंगे। रमेश के मुताबिक जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जाती वो दिल्ली से नहीं जाएंगे।

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English summary
No assurance from Centre on farm loan waiver for TN farmers
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