नीतीश ने क्यों किया मोदी के उम्मीदवार का समर्थन, पढ़िए अंदर की 5 वजहें
नीतीश कुमार के पॉलिटिकल करियर के लिए ये जरुरी है कि वो फैसले खुद लें ना कि सरकार में शामिल सहयोगी दलों से पूछ कर
नई दिल्ली। नीतीश कुमार ने पूरे विपक्ष की मंशा से उलट एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन कर के एक बात तो साफ कर दिया है कि आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव उनके मास्टर नहीं है। नीतीश अपने हिसाब से राजनीतिक मोहरे भी रखते है और चाल भी चलते हैं। नीतीश ने भविष्य के में होने वाले राजनीतिक फायदों का कैलकुलेशन कर रामनाथ कोविंद का समर्थन किया है।
लालू से पूछ कर नहीं लेते फैसले
नीतीश कुमार के पॉलिटिकल करियर के लिए ये जरुरी है कि वो फैसले खुद लें ना कि सरकार में शामिल सहयोगी दलों से पूछ कर। नीतीश ने ऐसा कई बार साबित करने की कोशिश की है कि वो लालू यादव से पूछ कर कोई फैसला नहीं करते। इससे पहले भी नीतीश कुमार ने लालू के फैसले से उलट नोटबंदी का समर्थन किया था। नीतीश कुमार ने रामनाथ कोविंद का समर्थन कर एक बार फिर से दिखाने की कोशिश की है कि वो हर फैसला खुद लेते हैं और वैसे फैसले लेते हैं जिसका लाभ उनको समय- कुसमय मिल सके।
नीतीश का महादलित प्रेम
रामनाथ कोविंद के समर्थन के पीछे एक बड़ी वजह उनका महादलित होना भी है। नीतीश कुमार रामनाथ कोविंद को समर्थन कर महादलित वोट को अपने साथ बनाकर रखना चाहते हैं। बिहार में महादलित वोट निर्णायक है और नीतीश का महादलित प्रेम छुपा नहीं है। इससे पहले महादलितों को लुभाने के चक्कर में ही नीतीश कुमार ने सीएम पद का त्याग कर महादलित जीतन राम मांझी को बिहार का सीएम बनाया था। हालांकि जीतन राम मांझी को नीतीश ने बाद में हटाया भी। नीतीश कुमार ने कोविंद का समर्थन कर महादलितों के दिल में जगह बनाने की कोशिश की है।
कांग्रेस पर दबाव बनाने की कोशिश
नीतीश कुमार का रामनाथ कोविंद को समर्थन करना प्रेशर पॉलिटिक्स भी हो सकता है। बिहार चुनाव जीतने के बाद गैर बीजेपी दलों के बीच नीतीश कुमार सबसे बड़ा चेहरा बन कर उभरे हैं। समय- समय पर उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के मुकाबले प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित होने की बात चलती रहती है लेकिन कांग्रेस ने अब तक इस मुद्दे पर अपनी राय जाहिर नहीं की है।कांग्रेस के इस रवैये से नीतीश आहत हैं और वह खास मौकों पर कांग्रेस से अपनी दूरी बना कर प्रेशर पॉलिटिक्स का काम कर रहे हैं।
एनडीए से अच्छे रिश्ते
बिहार में नीतीश कुमार भले ही लालू यादव और कांग्रेस के साथ सरकार चला रहे है लेकिन वो ये सभी को दिखाना चाहते हैं कि एनडीए से उनके रिश्ते खराब नहीं हैं। जरूरत पड़ने पर वो एनडीए में फिर से शामिल हो सकते हैं।
लालू से दूरी दिखाना
अभी के हालात में लालू यादव और उनके परिवार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। रोज लालू परिवार पर एक नए आरोर लग रहे हैं। ऐसे में नीतीश कुमार नहीं चाहते कि किसी भी तरीके से वो लालू के साथ खड़े दिखे। इसी के मद्देनजर शायद उन्होंने लालू यादव की राह से अलग फैसला लिया है।