सामने आया दिल्ली का दिल दहला देने वाला सच
रिपोर्ट में बताया गया है कि पीएम 2.5 का सांद्रण 153 माइक्रोग्राम व पीएम 10 का 286 माइक्रोग्राम है जो मानक से कहीं ज्यादा है। बीजिंग में इनका सांद्रण क्रमश: 56 माइक्रोग्राम व 121 माइक्रोग्राम पाया गया। डब्ल्यूएचओ ने यह डाटा वर्ष 2008 व 2013 के बीच अध्ययन से जुटाया है।91 देशों के 1600 शहरों में हुआ सर्वेक्षण
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अध्ययन में अध्ययन विश्व के 91 देशों के 1600 शहरों की आबोहवा में मौजूद प्रदूषकों के आधार पर किया गया। दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 की मौजूदगी सबसे ज्यादा है जिसे सबसे खतरनाक माना गया है।
डीब्ल्यूएचओ का कहना है कि इससे सांस के मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कत होती है। रिपोर्ट के बारे में सीएसई की अनुमिता राय चौधरी ने बताया कि डब्ल्यूएचओ की तरफ से जारी किए गए आंकड़े स्वास्थ्य की चिंताजनक हालात की तरफ इशारा करते हैं।
पीएम सांस के माध्यम से फेफड़े तक पहुंचते हैं। इससे फेफड़े का कैंसर व हृदय की बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। वहीं, डब्ल्यूएचओ का कहना है कि ज्यादातर शहरों में पिछले साल की तुलना में फिलहाल आबोहवा खराब हुई है।
इसके लिए बहुत से कारक जिम्मेदार हैं। मसलन जीवाश्म ईंधनों का इस्तेमाल, निजी वाहनों की अधिकता, ग्रीन बिल्डिंग की कमी और खाना पकाने के लिए बॉयोमास का इस्तेमाल अहम है। फिलहाल कई संगठन इस प्रदूषण को दूर करने की कोशिश में जुटे हए हैं।