जाल में फंसाकर सीआरपीएफ को नक्सलियों ने बनाया निशाना
सुकमा। अभी करीब दो दिन पहले छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा था कि राज्य से जल्द ही नक्सलियों का सफाया हो जाएगा। उन्होंने यह बात शायद 500 से ज्यादा नक्सलियों के आत्मसमर्पण की वजह से कह दी। शायद वह यह भूल गए थे कि जहां से सुरक्षा एजेंसियों की सोच काम करना बंद कर देती है, नक्सलियों की सोच वहीं से शुरू होती है।
बदली है नक्सलियों ने अपनी रणनीति!
सोमवार को हुआ हमला नक्सलियों के काम करने के तरीकों और उनकी मॉडेस ऑपरेंडी को भी बया करने के लिए काफी है।
सूत्रों की मानें तो नक्सलियों ने सीआरपीएफ पर हमले के लिए पूरा जाल बिछाकर रखा था। सीआरपीएफ की टीम को अपने ही जासूस से गलत जानकारी देकर उसे खतरनाक इलमगुडा के जंगलों में बुलाया गया और फिर उन पर हमला बोल दिया गया।
नक्सल के कैडर ने दी जानकारी
सिक्योरिटी फोर्सेज और स्थानीय सूत्रों की ओर से जो बताया गया है उसके मुताबिक सीआरपीएफ की 223वीं बटालियन के 550 पर्सनल वाली आठ टीमें, 206 कोबरा बटालियन की टीम नक्सलियों के समूहों को तलाश कर उन्हें गिरफ्तार करने के काम में लगी हुई हैं।
यह टीमें छत्तीसगढ़ के खतरनाक इलमगुडा के जंगलों में 29 नवंबर से सर्च ऑपरेशन चला रही थी। चिंतागुफा से 10 किमी दूर यह जंगल नक्सलियों का सबसे खतरनाक गढ़ माना जाता है।
पैरामिलिट्री फोर्सेज को नक्सलियों के ही एक कैडर ने यह जानकारी दी कि दो दिसंबर से शुरू हो रहे पीपुल्स लिब्रेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) के स्थापना दिवस के दौरान इसी जंगल में इकट्ठा होंगे। हर वर्ष नक्सली दो से नौ दिसंबर को अपनी सेना को यहीं पर इकट्ठा करते हैं।
रेड जोन में दाखिल हो गए जवान
पीजीएलए नक्सलियों का वह संगठन है जो सोमवार को सुकुमा में हुए खतरनाक हमलों को अंजाम देता है। माना जाता है कि पीजीएलए में ट्रेनिंग पाए हुए करीब 15,000 से 20,000 नक्सलियों की फौज है।
पैरामिलिट्री फोर्सेज को इस बात का जरा भी इल्म नहीं था कि वह एक जानकारी के बाद नक्सलियों के सबसे खतरनाक जोन में आ पहुंचे हैं।
सात नवंबर को इंटेलीजेंस ब्यूरो की ओर से एक अलर्ट भी जारी किया गया था। कहीं न कहीं सह हमला साफ दर्शाता है कि पूरी की पूरी इंटेलीजेंस नक्सलियों के आगे फेल हो गई।