इश्क ने खूंखार माओवादी को हैवान से बना दिया इंसान, कर दिया समर्पण
गढ़चिरौली। ''गुस्सा अपनो को भी गैर बना देता है मगर प्यार हैवान को इंसान बना देता है, ये तो वो बला है साहब! जो पत्थर को भी भगवान बना देता है।'' जी हां इसका सबसे ताजा और ज्वलंत उदाहरण महाराष्ट्र में सामने आया है। माओवादी, एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही खौफनाक और क्रूर चेहरा नजर के सामने आ जाए मगर प्यार की ताकत ने एक ऐसे ही जल्लाद को इंसान बना दिया। हिंसा और हैवानियत के गमले में पनपी मोहब्बत की एक ऐसी ही दास्तां माओवादियों के गढ़ माने जाने वाले गढ़चिरौली से रिपोर्ट की गई है। यहां 15 साल से हिंसा के रास्ते पर चल रहे 12 लाख के इनामी माओवादी ने पुलिस के सामने समर्पण किया है।
दरअसल
हुआ
ये
था
कि
गढ़चिरोली
के
कोरची-कुरखेड़ा-खोब्रामेंढ़ा
के
नक्सल
दलम
का
पूर्व
कमांडर
निरींगसाय
दरबारी
मडावी
उर्फ
गोपी
(32)
की
प्रेमिका
की
गोली
से
ही
जान
चली
गई
थी।
इस
घटना
के
बाद
से
उसका
दिल
टूट
गया
और
उसे
महसूस
होने
लगा
कि
उसका
सबकुछ
लुट
गया
है।
बस
इसी
बात
को
लेकर
उसने
हिंसा
छोड़ने
का
फैसला
किया
और
दो
सप्ताह
पूर्व
ही
गढचिरौली
में
आत्मसमर्पण
कर
दिया।
गौरतलब
है
कि
टीपागढ़
दलम
की
सदस्य
शामको
उर्फ
शांता
कोर्चा
से
गोपी
बेपनाह
मोहब्बत
करता
था,
लेकिन
शांता
की
मौत
पुलिस
मुठभेड़
में
गोली
से
हुई
तो
गोपी
पूरी
तरह
से
टूट
गया।
एएनओ
के
मुताबिक
गोपी
युवा
था
और
शामको
भी
बेहद
खूबसूरत
थी।
दोनों
माओवादी
होने
के
कारण
जंगल,
बीहड़ों
में
मिलते।
दोनों
के
बीच
प्यार
परवान
चढ़ा।
इस
बीच
17
फरवरी
2014
को
गढ़चिरौली
के
बेतकथी
गांव
में
पुलिस-माओवादी
मुठभेड़
में
शामको
मारी
गई।
गोपी
ने
पुलिस
को
जो
आपबीती
सुनाई
उसके
मुताबिक
वह
पढ़ाई
में
तेज
था
और
पढ़-लिखकर
टीचर
बनना
चाहता
था।
गरीब
परिवार
होने
की
वजह
से
वह
हायर
सैकंडरी
की
पढ़ाई
के
लिए
पार्टटाइम
जॉब
करने
लगा।
उसके
पिता
को
शराब
की
लत
थी,
जिससे
घर
की
माली
हालत
और
खराब
हो
गई।
गोपी
2002
में
सीपीआई
कम्युनिस्ट
पार्टी
ऑफ
इंडिया
(माओवाद)
में
लिबरेशन
गुरिल्ला
आर्मी
की
विंग
में
दलम
सदस्य
के
रूप
में
शामिल
हो
गया।
उसे
माओवादी
नेताओं
ने
जल्द
ही
गढ़चिरौली,
गोदिंया
में
कमांडर
बना
दिया।