अब समंदर के रास्ते नहीं आ पाएंगे आतंकी जानिए क्यों
नई दिल्ली। 26 नवंबर को मुंबई पर वर्ष 2008 में हुए आतंकी हमले यानी 26/11 को छह वर्ष पूरे हो जाएंगे। आज भी यह हमला देश की इंटेलीजेंस और कोस्टल बॉर्डर सिक्योरिटी को चुनौती देने के लिए काफी है। लेकिन रविवार को गुड़गांव में देश के नए रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर ने एक ऐसे इंटेलीजेंस सिस्टम को भारतीय नौसेना को सौंपा है जो देश पर आने वाले ऐसे किसी भी खतरे को ट्रैक कर नौसेना और कोस्ट गार्ड को समय पर सचेत कर सकेगा।
नेवी और कोस्ट गार्ड की ताकत IMAC
इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट एंड एनालिसिस सेंटर (आईएमएसी ) को इंडियन नेवी और कोस्ट गार्ड की ओर से एक साथ संचालित किया जाएगा। नेवी की ओर से जो बयान दिया गया है उसके मुताबिक इस सेंटर का मकसद तटीय निगरानी को बेहतर बनाना है।
नेशनल
कमांड
कंट्रोल
कम्यूनिकेशन
एंड
इंटेलीजेंस
नेटवर्क
(एनसी3आई
)
को
नेवी,
कोस्ट
गार्ड
और
भारत
इलेक्ट्रिानिक्स
लिमिटेड
का
एक
संयुक्त
प्रयास
है।
वहीं
नौसेना
प्रमुख
एडमिरल
आर
के
धवन
की
मानें
तो
तटीय
सुरक्षा
और
सर्विलांस
को
और
मजबूत
करने
वाली
यह
परियोजना
एक
मील
का
पत्थर
है।
इसे एक शक्तिशाली उपाय बताते हुए पर्रिकर ने कहा कि आईएमएसी मुंबई हमले के खिलाफ महान राष्ट्र का प्रत्युत्तर है। हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया कि निगरानी नेटवर्क में अभी कुछ खामियां है जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि तटीय सुरक्षा एक विशाल कार्य है क्योंकि हमारे तटवर्तीय क्षेत्रों में दो से तीन लाख तक मछली पकड़ने वाली नौकाएं संचालित होती है।
उन्होंने कहा कि शत-प्रतिशत तटीय सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है और यह कार्य राज्य सरकारों के सक्रिय सहयोग के बिना नहीं किया जा सकता।
चीन और पाक को जवाब
पर्रिकर ने यह भी कहा कि तटवर्ती सुरक्षा के साथ-साथ हमें विशेष आर्थिक क्षेत्र में भी अपने हितों की रक्षा करनी होगी। उन्होंने कहा कि कुछ पड़ोसी देश अपने नागरिकों को हिन्द महासागर में भेजने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में हमारी नौसेना को अधिक चौकसी बरतेने की आवश्यकता है। आपको बता दें कि अभी पिछले श्रीलंका में भारतीय महासागर में चीन की एक सबमरीन को देखा गया था। इसके बाद भारत की चिंताएं और भी बढ़ गई हैं।
उन्होंने कहा कि हम किसी पर हमला करना नहीं चाहते लेकिन ऐसे दुश्मनों से रक्षा करने के लिए पर्याप्त ताकतवर होना हमारे लिए जरूरी है, जो बुरे इरादों से भारत को देखते रहते हैं। इससे पहले नौसेना अध्यक्ष एडमिरल आर के धवन ने प्रारंभिक सम्बोधन में कहा कि इस परियोजना से समुद्री चौकसी बढ़ाने में काफी हद तक मदद मिलेगी।
51 स्टेशनों के साथ मजबूत नेटवर्क
- एनसी3आई नेटवर्क के जरिए कोस्ट गार्ड और नेवी के 51 स्टेशनों को आपस में जोड़ेगा।
- इन 51 स्टेशनों में तटों के अलावा किसी द्विप पर मौजूद स्टेशन भी शामिल हैं।
- यह नेटवर्क इन सभी स्टेशनों को विभिन्न प्रकार के सेंसरों जैसे कोस्ट गार्ड की कोस्टल रडा श्रंखला और साथ ही साथ ऑटोमैटिक ट्रैकिंग सिस्टम के अलावा इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल कैमरा के जरिए मिली जानकारी मुहैया कराएगा।
- यह नेटवर्क टेरेस्ट्रीयल डाटा सर्किट और सैटेलाइट कम्यूनिकेशन के बल पर अपना काम करेगा।
- नेटवर्क के जरिए स्टेशनों को मदद मिल सकेगी कि वह किसी अनजान जगह के बारे में भी सूचनाएं हासिल कर सकें।
- आईमैक नेवी और कोस्ट गार्ड के लिए वह केंद्र होगा जहां पर कई सेंसरों और डाटा बेस को इकट्ठा करके रखा जाएगा।
- इसके बाद इन्हें आपस में सहसंबधित कर अलग-अलग स्टेशनों को भेजा जाएगा, ताकि वह खतरे के प्रति सजग हो सकें।
- जिस सॉफ्टवेयर पर इस पूरे सर्विलांस को अंजाम दिया जाएगा उसे कई तरह के हाइटेक फीचर्स जैसे डाटा फ्यूजन, कोरिलेशन और डिसीजन सपोर्ट फीचर्स का साथ मिलेगा।
कम्यूनिकेशन
होगा
और
मजबूत
एनसी3आई
नेटवर्क
को
बेंगलुरु
स्थिति
बीईएल
की
ओर
से
एकीकृत
किया
गया
है।
नेवी
की
मानें
तो
इस
पूरी
परियोजना
को
वर्ष
2012
में
अनुमति
मिली
थी
और
अब
यह
पूरी
तरह
से
काम
करने
लगा
है।
एनसी3आई नेटवर्क और आईमैक दोनों को ही नेशनल मैरिटाइम डोमेन अवेयरनेस यानी एनएमडीए प्रोजेक्ट से जोड़ा गया है। एनएमडीए प्रोजेक्ट और एनसी3आई दोनों ही कम्यूनिकेशन का एक मजबूत स्तंभ साबित होंगे।