महद पुल हादसे के बाद नदी में गिरी दोनों बसों को नेवी ने खोजा
नई दिल्ली। महाराष्ट्र के सावित्री नदी पर बने महद पुल के ढहने के बाद इसके मलबे में दबी दो बसों को नेवी की टीम ने हादसे के 8 दिन बाद खोज निकाला है। हालांकि इसे निकालने में नेवी की टीम को खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उनके सामने मगरमच्छ बड़ा खतरा थे। हालांकि बस के मलबे को नदी से बाहर निकाल लिया गया है।
हादसे के बाद से ही नेवी की टीम जांच में जुटी हुई थी। रक्षा विभाग के पीआरओ ने एएनआई को बताया कि हादसे के बाद लापता दोनों बसों के मलबे नदी में करीब 8 मीटर की गहराई में मिले।
नेवी की टीम को बड़ी कामयाबी
बता दें कि दो अगस्त को महाराष्ट्र में ब्रिटिशकाल में बना महद पुल अचानक ढह गया। इस हादसे में राज्य सरकार संचालित दो बसें और दूसरे कई वाहन नदी में बह गए। नेवी द्वारा चलाए गए सर्च ऑपरेशन में हादसे के 8 दिन बाद दोनों बसों का मलबा मिल गया। जिसे बाहर निकाल लिया गया है।
इस हादसे के बाद चलाए गए राहत और बचाव कार्य में करीब 26 शव बरामद हुए हैं। वहीं 16 लोग अभी भी लापता बताए जा रहे हैं, आशंका है कि वह जिंदा नहीं होंगे। नेवी की टीम 4 अगस्त से ही लापता लोगों और मलबे की तलाश में जुटी हुई है।
इस बीच सरकार ने लापता लोगों की तलाश के लिए ऑपरेशन चला रखा है जिससे उनके परिजनों को उनके करीबियों की स्थिति का सही पता बताया जा सके।
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दूसरी ओर इस हादसे सबक लेते हुए सरकार ने राज्य के पुलों का वार्षिक ऑडिट कराने की योजना बनाई है। जिससे भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके। बता दें कि राज्य में ऐसे 2300 पुल हैं। इनमें 100 से ज्यादा पुल आजादी से पहले बनाए गए हैं। फिलहाल सरकार की ओर से इंजीनियरिंग वर्कशॉप लगाने पर विचार हो रहा है, जिसमें सड़क और पुल की जांच को लेकर नई गाइडलाइंस बनाई जाएगी।
हादसे
में
26
लोगों
की
मौत,
16
अभी
भी
लापता
इस बीच महद पुल ढहने के मामले को लेकर बम्बई हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है, जिसमें नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया और राज्य सरकार के अधिकारियों के गैर-जिम्मेदाराना रवैये को लेकर कार्रवाई की मांग की गई है।
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बता दें कि दो अक्टूबर को मुंबई-गोवा राष्ट्रीय राजमार्ग पर बना महद पुल ढह गया था। इस ये पुल ब्रिटिश शासनकाल में बनाया गया था। इस हादसे में राज्य सरकार की दो बसों के साथ-साथ कई दूसरे वाहन सावित्री नदी में गिरकर लापता हो गए।
इस हादसे के बाद से नेवी की टीम को सर्च अभियान में लगाया गया। नेवी की टीम पिछले 8 दिनों से बसों का मलबा तलाश रही थी। इस दौरान उन्हें मगरमच्छ का खतरा तो था ही साथ ही नदीं के तेज बहाव का भी सामना करना पड़ रहा था। फिलहाल नेवी की टीम को बसों का पता चल गया है।