नेशनल कांफ्रेंस के नेता ने कुलभूषण जाधव की सजा-ए-मौत का समर्थन किया
नेशनल कांफ्रेंस के नेता मुस्तफा कमाल ने कुलभूषण जाधव के मामले पर किया पाकिस्तान का समर्थन। कहा पाकिस्तान ने किया कानून का पालन, भारत को नहीं करना चाहिए इसमें हस्तक्षेप।
श्रीनगर। पिछले कुछ समय से अपनी पार्टी के मुखिया फारुक अब्दुल्ला के बयानों की वजह से विवादों में घिरी नेशनल कांफ्रेंस एक बार फिर से विवादों में है। इस बार विवाद उनके नेता मुस्तफा कमाल के बयान को लेकर है। कमाल ने कुलभूषण जाधव की मौत की सजा पर बयान दिया है। उनका मानना है कि पाकिस्तान ने इस मसले पर कानून का पालन किया है।
पाकिस्तान ने किया कानून का पालन
कमाल ने मंगलवार को कहा, 'पाकिस्तान ने तो कानून का पालन किया है, भारत एक बड़ा लोकतंत्र है और ऐसे में भारत को सवाल नहीं उठाना चाहिए।' वहीं पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री खुर्शीद महमूद कसूरी ने भी इस पर कुछ भी कहने से साफ इंकार कर दिया है। पार्टी की ओर से कमाल के इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। जहां जाधव के मुद्दे पर सभी पार्टियां एक साथ हैं तो कमाल का यह बयान पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी कर सकता है। मंगलवार को इस मुद्दे पर संसद में काफी हंगामा हुआ है और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भी इस पर बयान दिया है। विदेश मंत्री ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान को अपने इस फैसले के दूरगामी परिणाम झेलने पड़ेंगे। उन्होंने जाधव को भारत का बेटा बताया है और कहा है कि भारत इस मुद्दे पर शांत नहीं बैठेगा। सुषमा ने देश को भरोसा दिलाया है कि जाधव को बचाने के लिए हरसंभव कोशिश की जाएगी।
सोमवार को हुआ मौत की सजा का ऐलान
सोमवार को पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने इंडियन नेवी के पूर्व ऑफिसर कुलभुषण जाधव को मौत की सजा सुनाई है। जाधव को पिछले वर्ष पाकिस्तान में जासूसी के आरोपों के चलते गिरफ्तार किया गया था। पाकिस्तान की सरकार ने जाधव के प्रत्यर्पण से साफ इंकार कर दिया था। जाधव को पिछले वर्ष उस समय गिरफ्तार कर लिया गया था जब वह ईरान के रास्ते बलूचिस्तान में दाखिल होने की कोशिश कर रहे थे। पाकिस्तान के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने आरोप लगाया है कि जाधव पाकिस्तान में विनाशक और आतंकी गतिविधियों में शामिल था। पिछले वर्ष मार्च में इस्लामाबाद ने एक वीडियो रिलीज किया था जिसमें जाधव का वह कुबूलनामा था जिसमें उन्होंने बताया था कि कैसे भारत के इंजीनियर बलूचिस्तान में हिंसा और अलगाववाद की आग को बढ़ावा देते हैं।