नहीं दोहराएंगे वाजपेयी की वो गलती, लालकिले पर अलिखित भाषण देंगे PM मोदी,
नई
दिल्ली।
कहते
हैं
इतिहास
भले
ही
अपनी
यादें
सिर्फ
पन्नों
में
छोड़
जाए,
पर
कुछ
वाक्ये
ऐसे
होते
हैं
जो
ज़ेहन-जुबान
पर
वक्त-बेवक्त
याद
आ
जाते
हैं।
स्वतंत्रता
दिवस
पर
आप
भले
ही
हाथ
में
तिरंगा
लिए
'जयहिंद'
की
हुंकार
भरने
को
तैयार
हों,
पर
पीएम
मोदी
के
पहले
भाषण
के
लिए
आप
जरूर
उत्साहित
होंगे।
रचा जाएगा इतिहास-
दरअसल
पीएम
मोदी
अपने
चुनावी
दौरों
से
लेकर
देश-राज्य
की
हर
सभा
में
ज्यादातर
बिना
दस्तावेज
में
देखे
भाषण
देते
आए
हैं।
क्या
स्वतंत्रता
दिवस
के
मौके
पर
भी
वे
अलिखित
भाषण
देंगे?
क्यों
है
महत्वपूर्ण
घड़ी-
यही महत्वपूर्ण सवाल दिल्ली की सत्ता में रुचि रखने वालों के लिए विषय बना हुआ है। स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले सत्ताधारी बीजेपी के नेताओं को लगता है कि नरेंद्र मोदी को अपने अंदाज को कायम रखते हुए सामने लिखा हुआ भाषण नहीं पढ़ना चाहिए। इससे जुड़े पहलू को दो तर्कों से सहारा दिया जा रहा है।
पहले पीएम जो बिना लिखा भाषण पढ़ेंगे-
नरेंद्र मोदी अगर ऐसा करते हैं तो वे देश के पहले प्रधानमंत्री होंगे जो अलिखित भाषण पढ़कर देश को इस ख़ास मौके पर संबोधित करेंगे। इस तरह वे देशवासियों को उनके कार्यकाल का पहला ऐसा स्वतंत्रता दिवस मनाने का अवसर देंगे जब उनका मुखिया बिना दस्तावेज देखे अपने विचार व्यक्त करेगा।
क्या
करेंगे
वो
गलती
जो
वाजपेई
ने
की-
अगला
पहलू
है
कि
अगर
पीएम
मोदी
लिखा
हुआ
भाषण
पढ़ते
हैं
तो
उनके
प्रवाह
व
शैली
पर
सीधा
असर
पड़ेगा।
पूर्व
प्रधानमंत्री
अटल
बिहारी
वाजपेयी
का
उदाहरण
लें
तो
वाजपेयी
बाकी
हर
जगह
अपने
बेबाक
अंदाज़
में
अलिखित
भाषण
दिया
करते
थे
पर
स्वतंत्रता
दिवस
और
संयुक्त
राष्ट्र
में
लिखा
हुआ
भाषण
ही
पढ़ते
थे।
इससे
कई
बार
राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय
मंच
पर
उनके
विरोधियों
ने
इस
बात
को
नकारात्मक
चर्चा
का
मुद्दा
बनाया।
दरअसल इस तरह के सवाल इसलिए सत्ता के गलियारों में उठाए जा रहे हैं क्योंकि नरेंद्र मोदी पीएम बनने से पहले से बाद तक अपनी हर गतिविधियों को 'कुछ अलग' नज़रिया देते आए हैं। चाहे वो 'एल्फाबेटिकल' अंदाज में विरोधियों को लताड़ना हो या अपने 'विशेष फॉर्म्यूले-मॉडल' से देश के विकास की स्पष्ट तस्वीर पेश करना हो। सभी की नज़रें अब नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस की विशेष स्पीच पर टिक गईं हैं।