नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपित ने दिया इस्तीफा, कहा- संस्था की स्वायत्तता पर हुआ हमला
2 साल पहले नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ाई की शुरूआत हुई थी।
नई दिल्ली। बिहार स्थित नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपित जॉर्ज यो ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
उनका आरोप है कि जानकारी दिए बिना ही विश्वविद्यालय के नेतृत्व में बदलाव कर दिया। साथ ही यो ने विश्वविद्यालय के बोर्ड को भंग करने के बाद उसके पुनर्गठन का विरोध भी किया है। यो के मुताबिक यह कदम संस्था की स्वायत्तता पर हमला है।
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शुक्रवार को जारी किए गए बयान में यो ने कहा कि उन्हें संस्था की स्वायत्तता का भरोसा दिया गया था लेकिन अब चीजे बदल गई हैं।
यो ने कहा...
बयान में यो ने बीते साल अमर्त्य सेन से चार्ज लेते समय मिले आश्वासन का जिक्र करते हुए कहा है कि जब मुझे बीते साल अमर्त्य सेन से जिम्मेदारी लेने के लिए आमंत्रित किया गया था तो बार-बार विश्वविद्यालय की स्वायत्तता का भरोसा दिया गया था। लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हो रहा है। इसलिए बड़े दुख के साथ मैंने चांसलर के पद से अपना इस्तीफा, विजिटर को भेज दिया है।
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बयान के अंत में उन्होंने यो ने कहा है कि यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मैं नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुद्धार से जुड़ पाया और अमर्त्य सेन के साथ मैंने काम किया।
ये है इतिहास
बता दें कि साल 2014 में सितंबर माह की पहली तारीख को 800 साल बाद नालंदा विश्वविद्यालय दोबारा पढ़ाई के लिए खोला गया।
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कई सालों पहले नष्ट हो चुके इस विश्वविद्यालय के लिए फिलहाल पटना से 100 किलोमीटर दूर बौद्ध धर्म के तीर्थ स्थल राजगिर में कैंपस बनाया गया है।
विश्वविद्यालय का कैंपस राजगिर में ही बनना है। इस कैंपस से 12 किलोमीटर दूर ही वह जगह है जहां प्राचीन नालंदा यूनिवर्सिटी थी। 12वीं सदी में विश्वविद्यालय को तुर्की के हमलावरों ने नष्ट कर दिया था।