#MumbaiAttack:कारगिल की जंग में लिया हिस्सा, 26/11 में मिली शहादत
26/11 में आतंकियों से मोर्चा लेते हुए शहीद हो गए थे मेजर संदीप उन्नीकृष्णन। कारगिल की जंग में भी ले चुके थे हिस्सा और आज भी उनकी शहादत को याद करते हैं उनके साथी।
बैंगलोर। मुंबई पर 26 नवंबर 2008 को हुए आतंकी हमलों 26/11 को आज आठ वर्ष पूरे हो गए हैं। जब-जब यह तारीख आती है हजारों जख्म ताजा हो जाते हैं और आंखें नम हो जाती हैं। यह तारीख हर किसी से लिए एक दर्द से कम नहीं हैं। वहीं शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के माता-पिता के लिए यह तारीख दुख के साथ ही साथ गर्व की अनुभूति भी कराती है।
पढ़ें-पाक फौज के चार चेहरे जिन्होंने मुंबई हमले को दिया अंजाम
28 नवंबर को हुए थे शहीद
31 वर्ष के मेजर संदीप जो मुंबई हमलों में आतंकियों का मुकाबला नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स के तौर पर कर रहे थे, 28 नवंबर को शहीद हो गए थे।
इस हमले में मुंबई के होटल ताज महल पैलेस में छिपे आतंकियों का सफाया करने के लिए 51 स्पेशल एक्शन ग्रुप (एसएजी) ने ऑपरेशन ब्लैक टॉरनेडो चलाया। संदीप इसी ऑपरेशन में कमांडोज की एक टीम को लीड कर रहे थे।
पढ़ें-26/11 के मास्टरमाइंड और आतंकी हाफिज सईद की खास बातें
क्या हुआ था उस दिन
10 कमांडोज की टीम को लेकर मेजर संदीप 28 नवंबर को होटल ताज में दाखिल में हुए थे। होटल की तीसरी मंजिन पर कुछ महिलाओं को आतंकियों ने बंधक बनाकर रखा था और कमरा अंदर से बंद था।
दरवाजा तोड़ने के बाद जब मेजर संदीप अपने साथी कमांडो सुनील यादव के साथ अंदर दाखिल हो रहे थे, तभी यादव को गोली लग गई।
पढ़ें-26/11 को अंजाम देने वाले आतंकी संगठन लश्कर की शुरुआत कैसे हुई
मेजर उन्नीकृष्णन के आखिरी शब्द
मेजर संदीप ने आतंकियों को गोलीबारी में बिजी रखा और यादव को वहां से बाहर निकलवाया। इसके बाद एनकाउंटर के दौरान जब वह दूसरी मंजिल पर पहुंचे तभी उनकी पीठ पर आतंकियों की गोली लग गई।
गोली लगने के बाद भी मेजर संदीप ने अपने साथियों से कहा, 'ऊपर मत आना मैं उन्हें संभाल लूंगा।'
पढ़ें-कौन है हेडली का हैंडलर और आतंकी साजिद मीर
बचपन से फौजी बनने की इच्छा
बेंगलुरु के मेजर संदीप को बचपन से ही फौज में जाने की इच्छा थी। वह स्कूल में हमेशा क्रू कट हेयरस्टाइल ही रखते थे। उनके पिता के उन्नीकृष्णन इसरो से रिटायर ऑफिसर हैं और मां एक गृहणी।
मेजर संदीप ने बेंगलुरु के फ्रैंक एंथोनी पब्लिक स्कूल से पढ़ाई पूरी की थी। इसके बाद वर्ष 1995 में उन्होंने पुणे स्थित नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) में एडमिशन लिया। एनडीए की ऑस्कर स्क्वाड्रन में शामिल हुए और इसके 94वें कोर्स से पास आउट हुए।
आज भी देश उनके योगदान को कभी नहीं भुला पाएगा। उनके अंतिम संस्कार के समय लाखों लोगों का हुजूम इकट्ठा था और उनके साथी आज भी उस मंजर को याद करते हैं।
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन एक यंग ऑफिसर के तौर पर कारगिल की जंग में ऑपरेशन विजय का भी हिस्सा थे।