इरादों में था दम, 13 साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद 48 की उम्र में बने नायब तहसीलदार
अजय कुमार परसेंडिया ने बचपन में ही अधिकारी बनने का सपना देखा था और उनका सपना 35 साल की उम्र में पूरा हुआ। जब अजय ने 2004 में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग का एग्जाम क्रैक कर दिया।
नई दिल्ली। आपकी इरादों में अगर दम है तो दुनिया भी आपका लोहा मानती है। और आप वो सब कर लेते है जो आप चाहते है। मध्यप्रदेश के अजय कुमार परसेंडिया को केवल इस वजह से ने नौकरी नहीं दी गई क्योंकि उन्होंने कम उम्र में शादी कर ली थी। अजय कुमार ने 13 साल की लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी और 48 की उम्र में जाकर नायब तहसीलदार बने। मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग को अजय कुमार के लिए स्पेशल इंटरव्यू का अरेंजमेंट करना पड़ा।
'अंडरऐज मैरिज' की वजह से नहीं मिली थी नौकरी
अजय कुमार परसेंडिया ने बचपन में ही अधिकारी बनने का सपना देखा था और उनका सपना 35 साल की उम्र में पूरा हुआ। जब अजय ने 2004 में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग का एग्जाम क्रैक कर दिया। अजय कुमार की खुशी का ठिकाना नहीं था। जब उन्होंने एमपीएससी का एग्जाम क्रैक किया था तब अजय की उम्र 35 साल थी। लेकिन आयोग ने अजय को इंटरव्यू के लिए केवल इस वजह से नहीं बुलाया क्योंकि उन्होंने अंडरऐज मैरिज यानि 21 साल से कम की उम्र में शादी कर ली थी।
13 साल तक लड़ी कानूनी लड़ाई
मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के इस कदम के बाद अजय कुमार थोड़े निराश तो हुए लेकिन हार नहीं माना। उन्होंने कोर्ट का रुख किया 13 साल के लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अजय कुमार परसेंडिया को न्याय मिला। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसल में कहा कि चुकि बच्चों की शादी उनके माता- पिता करते है। इसलिए शादी के लिए दूल्हा-दुल्हन को पीड़ित तो माना जा सकता है लेकिन दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
48 की उम्र में बनें नायब तहसीलदार
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग को अजय कुमार परसेंडिया के लिए स्पेशल इंटरव्यू का आयोजन करना पड़ा और अब अजय नायब तहसीदार बन गए हैं और बहुत खुश है। अजय कुमार 48 साल की उम्र में नायब तहसीलदार बनें है। अजय ने बताया कि कोर्ट के फैसले से वो काफी खुश है और वो 13 साल की लंबी लड़ाई में कभी निराश नहीं हुए थे ।आपको बता दें कि एमपी सिविल सर्विस की नियम के मुताबिक अंडरऐज मैरिज करने वालों को नौकरी नहीं दी जाती है।
परिवार में खुशी का माहौल
अजय कुमार परसेंडिया को 48 की उम्र में नौकरी मिलने पर उनका परिवार भी बहुत खुश है। उनके बेटे आशुतोष ने खुशी जाहिर करते हुए बताया कि उसने भी इस साल एमपीपीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली है। आशुतोष को खुशी है कि उसके पिता का सपना पूरा हुआ।