पनामा पेपर्स के बाद बहामास लीक्स, 475 फाइलों में भारतीय कंपनियों के फर्जीवाड़े का खुलासा
नई दिल्ली। पनामा पेपर्स लीक के जरिए टैक्स चोरी के बड़े मामलों का खुलासा होने के पांच महीनों बाद अब कैरिबियाई टैक्स हैवेन बहामास से लीक हुए दस्तावेजों में 175000 से ज्यादा कंपनियों, ट्रस्ट और फाउंडेशन की काली कमाई का खुलासा हुआ है।
26
सालों
के
आंकड़े
आए
सामने
जर्मन
न्यूज
पेपर
को
मिले
दस्तावेजों
को
इन्वेस्टिगेटिव
जर्नलिस्ट्स
के
अंतरराष्ट्रीय
संघ
से
साझा
किया
गया
है।
इंडियन
एक्सप्रेस
की
रिपोर्ट
के
मुताबिक,
इन
दस्तावेजों
में
साल
1990
से
2016
के
बीच
रजिस्टर्ड
ऑफशोर
कंपनियों
की
जानकारी
है।
पढ़ें: UNGA में भारत के खिलाफ नवाज शरीफ के 10 कड़वे बोल
भारत
से
जुड़ी
475
फाइलें
भी
शामिल
बहामास
लीक्स
में
सामने
दस्तावेजों
में
भारत
से
जुड़ी
करीब
475
फाइलों
में
कंपनियों
की
जानकारी
मिली
है,
जो
कॉरपोरेट
सेक्टर
की
नामी
हस्तियों
से
जुड़ी
हैं।
इनमें
खनन
और
मेटल
के
अलावा
इलेक्ट्रॉनिक्स,
रियल
एस्टेट,
मीडिया
और
एंटरटेनमेंट
की
कंपनियां
हैं।
इनमें
से
कुछ
कंपनियों
का
नाम
पनामा
लीक्स
में
भी
सामने
आ
चुका
है।
इन
भारतीयों
का
नाम
है
अहम
बहामास
लीक्स
में
वेदांता
ग्रुप
के
अनिल
अग्रवाल,
Erstwhile
Baron
Group
के
कबीर
मूलचंदानी,
जिन्होंने
1990
में
अकाई,
आइवा
और
हिताची
के
साथ
टाई-अप
करके
बड़े
स्तर
पर
घरेलू
इलेक्ट्रॉनिक
सामान
बनाना
शुरू
किया
था।
फैशन
टीवी
इंडिया
के
प्रमोटर
राजन
मधु,
वीन
वाटर्स
के
चेयरमैन
और
चीफ
एक्जीक्यूटिव
अमन
गुप्ता,
ऐसे
कुछ
नाम
हैं
जो
इस
लिस्ट
में
शामिल
हैं।
इंडियन
एक्सप्रेस
के
मुताबिक,
बहामास
लीक्स
के
20वें
पेज
पर
इन
नामों
का
जिक्र
है।
पढ़ें: UNGA में बोले नवाज शरीफ- कश्मीर में शांति नहीं चाहता भारत
इस लीक में कुछ ऐसे नाम भी सामने आए हैं जो अप्रैल 2016 में हुए पनामा पेपर्स लीक में भी शामिल थे। हालांकि दो सेटों में आए पेपर ऑफशोर सीक्रेसी की कुछ परतें खोलने में एक दूसरे से अलग हैं।
30
सितंबर
को
सरकार
लॉन्च
करने
वाली
है
स्कीम
गौर
करने
वाली
बात
ये
है
कि
बहामास
लीक्स
30
सितंबर
को
सरकार
की
ओर
से
लागू
की
जाने
वाली
इनकम
डिस्क्लोजर
स्कीम
(ISD)
से
कुछ
दिन
पहले
ही
सामने
आया
है।
आईएसडी
में
किसी
भी
व्यक्ति
या
कंपनी
को
टैक्स
चोरी
का
खुलासा
करने
और
45
फीसदी
पेनाल्टी
भरने
के
बाद
क्लीन
चिट
हासिल
करने
का
प्रावधान
किया
गया
है।
पनामा
लीक्स
से
जांच
जोड़
सकती
है
सरकार
पनामा
लीक्स
का
खुलासा
होने
के
कुछ
ही
घंटों
बाद
सरकार
ने
इसकी
रिपोर्ट
तलब
की
थी।
जिसके
बाद
सेंट्रल
बोर्ड
ऑफ
डायरेक्ट
टैक्स
(CBDT)
ने
पनामा
लीक्स
में
सामने
आए
297
भारतीयों
को
लेकर
जांच
शुरू
की
थी।
अब
बहामास
लीक्स
के
सामने
आने
पर
सरकार
इसके
मामलों
को
भी
उसी
जांच
से
जोड़
सकती
है।
बहामास लीक्स में सिर्फ कंपनियों का नाम, बनाए जाने की तारीख, डायरेक्टर और ईमेल एड्रेस ही दिए गए हैं। हालांकि लीक में 539 रजिस्टर्ड एजेंट्स का भी जिक्र है जो बहामास अथॉरिटी और ऑफशोर क्लाइंट के बीच कारपोरेट बिचौलिए का काम करते हैं।
नेता
और
सरकार
से
जुड़े
लोग
भी
शामिल
बहामास
लीक्स
में
कई
देशों
के
राजनीतिक
और
सरकार
से
जुड़े
नाम
भी
सामने
आए
हैं।
इनमें
1999
से
2001
के
बीच
कोलंबिया
के
खनन
और
ऊर्जा
मंत्री
रहे
कार्लोस
कैबालेरो
आर्गेज
का
नाम
भी
शामिल
है।
उनका
नाम
1997
से
2008
के
बीच
बहामास
की
एक
कंपनी
के
डायरेक्ट
और
सचिव
के
तौर
पर
दर्ज
है।
उनका
नाम
एक
और
कंपनी
के
डायरेक्टर
के
रूप
में
भी
सामने
आया
जिसमें
वह
1990
से
2015
तक
रहे।
यूरोपियन
यूनियन
की
कमिश्नर
का
भी
नाम
यूरोपियन
यूनियन
की
कमिश्नर
नीली
क्रोएस
का
नाम
भी
मिंट
होल्डिंग
लिमिटेड
नाम
की
कंपनी
की
डायरेक्टर
को
तौर
पर
सामने
आया
है।
कंपनी
2000
में
स्थापित
हुई
औऱ
अब
भी
चल
रही
है।
क्रोएस
इसमें
2009
तक
रहीं।
वह
2004
से
2010
के
बीच
यूनियन
की
कंपटीशन
पॉलिसी
देखती
थीं।
यह
भी
खुलासा
हुआ
है
कि
क्रोएस
ने
कभी
भी
कंपनी
को
लेकर
किसी
दस्तावेज
में
खुलासा
नहीं
किया।
लीक को लेकर अब तक बहामास अथॉरिटी की ओर से किसी तरह की टिप्पणी नहीं आई है।
पनामा
में
500
भारतीयों
के
जिक्र
का
दावा
पनामा
स्थित
लॉ
फर्म
मोसैक
फॉन्सेका
से
अप्रैल
में
लीक
हुए
दस्तावेजों
को
लेकर
दावा
किया
था
कि
इनमें
जिन
500
भारतीय
हस्तियों
के
नामों
का
जिक्र
है,
उनमें
से
300
नामों
की
पुष्टि
भी
की
जा
चुकी
है।
जर्मनी
के
एक
अखबार
के
मुताबिक,
इस
पेपर
लीक
से
2.6
टेराबाइट
डेटा
सामने
आया
है
जो
लगभग
600
डीवीडी
में
आ
सकता
है।