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धुल ना जाए संसद का मानसून सेशन, मोदी-सोनिया बात करें

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नई दिल्ली। आगामी 21 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू होगा, लेकिन उससे पहले ही यह ऐलान करना क्या उचित है कि हमारी ये ये मांगें नहीं मानी गयी तो हम संसद नहीं चलने देंगे। कांग्रेस इस तरह का धमकियां दे रही है।

कांग्रेस कह रही है कि फलां विधेयक पास नहीं होने देंगे। उसका मुख्य रूप से आशय भूमि अधिग्रहण बिल से है। इस मसले पर सरकार कांग्रेस से सहयोग की अपेक्षा चाह रही है। पर, क्या किसी दल की यह घोषित नीति होनी चाहिए कि संसद नहीं चलने देंगे?

हंगामेदार संसद

वरिष्ठ पत्रकार ओंमकार चौधरी कहते हैं कि आखिर संसद हंगामों या अवरोधों के लिये नहीं है। वहां कानून बनने चाहिए। उन पर सार्थक बहस होनी चाहिए। देश के समक्ष जो मसले हैं, उन पर चर्चा होनी चाहिए। दुर्भाग्य से जब भाजपा विपक्ष में थी, तब उसने संसद को बार-बार रोका और अब लगता है कि कांग्रेस ब्याज सहित उसे चुकाने के मूड़ में है।

संकेत खराब

स्वस्थ लोकतंत्र और संसदीय प्रणाली के लिये यह शुभ संकेत नहीं हैं। जानकारों का कहना है कि कांग्रेस तब तक संसद को चलने नहीं देगी जब तक के कुछ भाजपा नेता इस्तीफे नहीं दे देते।

इस्तीफा दो

कांग्रेस सुषमा स्वराज से लेकर वसुंधरा राजे के इस्तीफे मांग रही है। कांग्रेस के तमाम नेता जैसे जयराम रमेश, रणदीप सुरजेवाला, पी. चिदंबरम वगैरह उक्त भाजपा नेताओं से इस्तीफा मांग रहे हैं।

भाजपा नेतृत्व कांग्रेस की मांग को नहीं मानेगा। तो क्या होगा? ओमकार चौधरी कहते हैं कि मौजूदा हालातों को देखकर तो लगता है कि संसद का मानसून सत्र नहीं चलेगा। बेहतर होगा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बात करें कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी से ताकि संसद को चलाया जा सके।

English summary
Monsoon session of Parliament unlike to see smooth work. Congress is demanding the sacking of many BJP leaders.
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