व्यापमं घोटाला: जानिए कैसे दिलायी जाती थी परीक्षा
नयी
दिल्ली
(ब्यूरो)।
व्यापमं
घोटाला
आजकल
सुर्खियों
में
है।
कारण
है
इससे
जुड़े
35
लोगों
की
मौत
जिसने
मध्य
प्रदेश
की
शिवराज
सिंह
चौहान
सरकार
को
आरोपों
के
घेरे
में
खड़ा
कर
दिया
है।
व्यापमं
में
हुए
घोटाले
और
उसमें
कथित
तौर
पर
शामिल
या
उसके
साथ
किसी
भी
तरह
से
जुड़े
लोगों
की
एक
के
बाद
एक
हो
रही
मौतों
ने
कोई
एक
दशक
में
पहली
बार
मुख्यमंत्री
शिवराज
सिंह
चौहान
को
बुरी
तरह
से
हिला
कर
रख
दिया
है।
आईए
आपको
बताते
हैं
कि
कैसे
होती
थी
परीक्षा
में
धाधंली:
प्रवेशपत्र पर बदल दिया जाता था फोटो
व्यापमं के अंतर्गत आवेदन करने वालों को प्रवेश पत्र जारी किये जाते हैं। लेकिन ऑफिसरों-कर्मचारियों-बिचौलियों की सांठ-गांठ के चलते प्रवेश पत्र जारी करते वक्त सारी डीटेल छात्र की होती थी, लेकिन फोटो परीक्षा देने वाले पढ़े-लिखे परीक्षार्थी का। परीक्षा पूरी होने के बाद कंप्यूटर के डाटाबेस में जाकर बाकायदा फोटो बदली जाती थी। इस परीक्षा को देने के लिये मेधावी छात्रों को 2 से 5 लाख रुपए तक दिये जाते थे।
इंजन-बोगी सिस्टम में बैठाए जाते थे परीक्षा देने वाले
जिस तरह एक इंजन सभी बोगियों को लेकर चलता है उसी तरह व्यापमं के अंतर्गत होने वाले परिक्षाओं में एक व्यक्ति को इस तरह से बैठाया जाता था जिससे की सभी परीक्षार्थी उसके आस-पास ही हों। वो व्यक्ति सभी छात्रों को अपनी कॉपी से नकल करने देता था। या फिर वो परीक्षा के अंत में अपनी कॉपी बदल देता था।
ओएमआर शीट
जिस परीक्षार्थी के जगह पर किसी मेधावी छात्र को परीक्षा देने के लिए चुना जाता था वो परीक्षार्थी को काफी ब्लैंक जमा करने को कहता था। उसके बाद कॉपी पर सभी सवालों के जवाब लिखे जाते थे। व्यापमं ने हाईकोर्ट के सामने इस बात को स्वीकार किया है कि 1020 फार्म गायब हैं। व्यापम के ऑफिसरों का कहना है कि 1120 छात्रों ने परीक्षा दिया था लेकिन उनके फार्म गायब हैं। व्यापम के ऑफिसरों ने हाईकोर्ट ने बताया कि मामले के आरोपी नितिन महेंद्र ने दस्तावेजों से छेड़खानी की है।
कुछ और खास बातें
- 114 छात्रों ने फर्जी परीक्षार्थियों को अपनी जगह बिठाकर पीएमटी की परीक्षा पास की।
- फर्जी परीक्षा देने आये ज्यादातर छात्र मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश के धनाड्य परिवारों से थे।
- बिचौलियों ने एक-एक छात्र से 10 से 14 लाख रुपए लिये, यानी फॉर्म भरने वाले छात्र भी अमीर घरों के थे।
- जुलाई 2011 में व्यापमं ने पीएमटी परीक्षा में 145 छात्रों को मार्क किया था जिनपर धांधली का शक था।
- इनमें से 8 को गिरफ्तार किया था जो किसी और छात्र की जगह बैठकर परीक्षा दे रहे थे।
- पूछताछ में कानपुर के रहने वाले सत्येंद्र वर्मा ने स्वीकार किया कि वो इंदौर में आशीष यादव की जगह पर बैठकर परीक्षा देने के लिए 4 लाख रुपये लिए थे।
- इस घोटाले का पता 2013 में चला जब कुछ खबरें आईं कि घूस देकर मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन किया जा रहा है। आरोप यह लगा कि पैसे लेकर राजनेता, नौकरशाह और अन्य घूस लेकर परीक्षार्थी की जगह किसी ओर से परीक्षा दिलवाने का काम कर रहे हैं। इसी प्रकार अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रॉक्सी कैंडिडेटों ने परीक्षा दी और लोगों को डॉक्टर और टीचरों की सरकारी नौकरी मिली।
- व्यापमं का नाम मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल पर पड़ा है। यह वही संस्था है जो राज्य में इस प्रकार की प्रतियोगी परीक्षाओं को कराने के लिए उत्तरदायी है।
- जब से यह घोटाला उजागर हुआ तब से 35 लोगों की मौत हो चुकी है जो इससे किसी न किसी प्रकार से जुड़े रहे।