आपके बच्चों को 'फेल' करने वाली पॉलिसी लाने के मूड में मोदी सरकार
पांचवीं और आठवीं की परीक्षा में किसी बच्चे को फेल ना करने की पॉलिसी पर सरकार पुनर्विचार कर सकती है।
नई दिल्ली। सरकार आपके बच्चों को पांचवीं और आठवीं में फेल करने पर विचार कर रही है। केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस पर फैसला लिए जाने की संभावना है। अभी तक राइट टू एजुकेशन 2010 के तहत किसी भी बच्चे को 5वीं और 8वीं में फेल नहीं करने की व्यवस्था है चाहे उसका परफॉरमेंस बेहतर हो या ना हो।
पांचवीं और आठवीं की परीक्षा में किसी बच्चे को फेल ना करने की पॉलिसी पर सरकार पुनर्विचार कर सकती है। इसको लेकर बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में फैसला लिया जा सकता है। अगर कैबिनेट की तरफ से हरी झंडी मिल जाती है तो फिर से पांचवीं और आठवीं की परीक्षा में बेहतर परफॉर्म ना करने वाले छात्रों को फेल किया जाएगा।
आपको बता दें कि 12 जुलाई 2010 को केंद्र सरकार ने राज्यों को यह निर्देश जारी किया था कि वह किसी भी बच्चे को एक क्लास में ना रोके और ना ही किसी बच्चे को प्राथमिक शिक्षा पूरी करने से पहले स्कूल से निकाला जाए। लेकिन अब नई सरकार इस व्यवस्था को बदलने की तैयारी में है। इसके लिए प्रयास तभी शुरू हो गए थे जब स्मृति ईरानी मानव संशाधन विकास मंत्री थीं। जब से प्रकाश जावड़ेकर ने मानव संशाधन विकास मंत्रालय संभाला है तब से वो भी नो फेल नीति को बदलने की कोशिश कर रहे हैं।
इसी साल अप्रैल में सरकार ने एटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से यह पूछा था कि क्या हम राइट टु एजुकेशन में संशोधन कर नौवीं कक्षा में पदोन्नति के लिए कुछ नया मापदंड तय कर सकते हैं। दरअसल सरकार आठवीं और पांचवीं से आगे की कक्षा में पदोन्नति को कंडीशनल बनाना चाहती है।