तलाक के बाद पति भी मांग सकते हैं गुजारा भत्ता
नई दिल्ली। अक्सर आपने पत्नियों को गुजारा भत्ते के लिए लड़ते सुना होगा। लेकिन गुजारा भत्ता कानून के प्रावधान पर नजर डाले तो यह कानून पति और पत्नि दोनों पर लागू होता है। ऐसे में अगर पति कोर्ट में यह साबित करने में सफल हो जाए कि उनके पास पर्याप्त आय व संपत्ति नहीं है, तो पति भी अपनी पत्नि से गुजारा भत्ते की मांग कर सकते हैं।
दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर नजर डालें तो न्यायमूर्ती जेआर मीढ़ा की खंडपीठ ने तलाक और गुजारा भत्ता संबंधी 9 याचिकाओँ पर सुनवाई करते हुए यह कहा है कि तलाक के समय अर्जी दायर करते समय गुजारा भत्ता के लिए हलफनामा दायर किया जा सकता है।
1996 से लंबित एक मामले में पति ने पत्नि से गुजारा भत्ते की मांग का हलफनामा दाखिल किया है। खंडपीठ ने कहा है कि जब कोई पति या पत्नी तलाक के लिए अर्जी दायर करे और उसे गुजारा भत्ता भी चाहिए तो उसे एक हलफनामा दायर करके अपनी आय व संपत्ति और खर्चो का विवरण भी देना होगा। निचली अदालतों द्वारा इस संबंध में याचिकाकर्ता पक्षों को शुरू में ही निर्देश जारी किए जाएं। जिससे कि अदालत का भी समय बचे और मामलों का निपटारा जल्द हो सके।
हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि इस अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों का हर संभव सही ढंग से पालन होना चाहिए। आपको बता दें कि 11 हाई कोर्टों ने गुजारा भत्ता संबंधी मामलों के निपटारे में होने वाली अनावश्यक देरी पर चिंता व्यक्त की है। न्यायमूर्ति जेआर मिढ़ा की खंडपीठ ने दिल्ली की जिला अदालतों को यह निर्देश जारी करके कहा है कि गुजारा भत्ता संबंधी मामलों का छह महीने की निश्चित अवधि के भीतर निपटारा होना चाहिए।
गुजारा भत्ता के अधिकतर मामलों में हिंदू विवाह अधिनियम के तहत दिए जाने वाले अंतरिम गुजारा भत्ता के प्रावधानों का प्रयोग ही नहीं किया जाता है। जबकि नियमानुसार अधिनियम की धारा 21 बी के तहत ऐसे मामलों का ट्रायल छह महीने में पूरा कर दिया जाना चाहिए। खंडपीठ ने कहा कि कानून का यह इरादा नहीं है कि जो लोग अपनी शादी तोड़ते हैं, वह उसके बाद भी प्रताड़ना झेलें।