हैलो...सर, आप सपा सरकार की योजनाओं से खुश है या नहीं !
लखनऊ। जी हां कुछ इसी तर्ज पर जल्द ही आपके पास भी मेगा कॉल सेंटर से कॉल आने वाली है। जिसके जरिए लाभार्थियों से योजनाओं का फीडबैक लिया जाएगा। दरअसल राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं के करीबन 1.51 करोड़ लाभार्थियों से सीधे जुड़ने की योजना बना रही है।
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माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री कार्यालय में मेगा कॉल सेंटर के सितंबर में काम शुरू करने से प्रदेश भर में समाजवादी सरकार से लाभान्वित हुए लोगों से उनका फीडबैक लिया जाएगा। यदि योजना के अमल या कहें सरकारी सेवा में कोई खामी है तो उसे दूर किया जाएगा।
यूपी डेस्को के पास है इस काम की जिम्मेदारी
उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट सिस्टम कार्पोरेशन को इस काम की जिम्मेवारी सौंपी गई है। आईटी एवं इलेक्ट्रानिक्स विभाग की ओर से बनाए जा रहे मेगा कॉल सेंटर की स्थापना भी लगभग अपने आखिरी चरण में हैं। लेकिन कॉल सेंटर में 300 लोगों की व्यवस्था है। पर, शासन से अनुमोदन के उपरांत 100 सीटों का कॉल सेंटर सितंबर माह में शुरू किया जाएगा। अक्टूबर में पचास सीटें बढ़ाकर इसे 150 सीट का किया जाएगा। जबकि नवंबर माह तक 300 लोगों की व्यवस्था कर दी जाएगी।
इन विभागों के लाभार्थियों को जोड़ने का होगा प्रयास
कॉल सेंटर में 13 विभागों की 20 सेवाओं को शामिल किया जाएगा। जिन पर लाभार्थियों से उनकी राय ली जाएगी। आईये अब एक नजर डालते हैं विभागों पर और सेवाओं पर, जिन पर प्रमुख रूप से लोगों से उनकी राय ली जाएगी।
- अल्पसंख्यक कल्याण विभाग - हमारी बेटी उसका कल
- चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग - 108 एवं 102 एंबुलेंस
- विकलांग कल्याण विभाग - पेंशन
- श्रम विभाग - साईकिल वितरण
- पशुपालन विभाग - कामधेनु, मिनी कामधेनु और माइक्रो कामधेनु योजना, कुक्कुट नीति
- राजस्व विभाग - कृषक दुर्घटना बीमा
- समाज कल्याण विभाग - समाजवादी पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन
- माध्यमिक शिक्षा विभाग - लैपटॉप वितरण, कन्या विद्या धन और पढ़ें बेटियां-बढ़ें बेटियां
- कृषि विभाग - सोलर फोटो वोल्टेक, इरीगेशन पंप
- शहरी रोजगार और गरीबी उन्मूलन विभाग- मोटरयुक्त बैटरी रिक्शा योजना,
- राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना
- ग्राम्य विकास विभाग- लोहिया आवास
- मुख्यमंत्री सचिवालय की मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष - आर्थिक सहायता योजना
योजनाओं पर उंगली उठना तय
वन इंडिया ने जब इस जानकारी को लोगों के बीच रखा तो उन्होंने कहा कि सपा सरकार की इन तमाम योजनाओं पर उंगली उठना तय है। फिर वो चाहे ग्राम्य विकास की बात हो या माध्यमिक शिक्षा विभाग की। ग्राम्य विकास की असलियत तो घाघरा के तट पर बसे कई सारे जलमग्न गांव बयां कर रहे हैं।
गांव मूलभूत सुविधाओं से काफी दूर
जिन गांवों को लोहिया घोषित कर तो दिया गया है लेकिन आज भी वे गांव मूलभूत सुविधाओं से काफी दूर खड़े हैं। अब बात की जाए गर विद्युतीकरण योजना की तो आज भी कई गांव हैं उदाहरण के तौर पर बाराबंकी के कुम्हरवा को ही ले लीजिए, सिर्फ यही नहीं बल्कि अन्य कई क्षेत्र भी जहां अभी तक इलेक्ट्रिसिटी लाइन नहीं पहुंची, हां लोगों के हाथों में बगैर बिजली का उपयोग किए बिजली के बिल जरूर हैं।
सूबे में लाभार्थियों को अपने खेमे में करने का प्रयास करेगी
बहरहाल इन तमाम योजनाओं के जरिए सपा सरकार सूबे में लाभार्थियों को अपने खेमे में करने का प्रयास करेगी। हालांकि इसमें कुछ गलत भी नहीं क्योंकि सभी सियासी दल कुछ इसी तर्ज पर विकास के दावे ठोंकते नजर आते हैं। फिर तो सीएम अखिलेश ने प्रदेश में बदलाव की बयार चलाई है इसमें कोई दोराय नहीं। हां कुछ मामलों में वे विफल साबित भी हुए हैं। देखना दिलचस्प होगा कि सूबे की जनता अब किस पर अपना विश्वास जताती है।