बॉर्डर फिल्म देखी, अब मिलिए 1971 की जंग के असली सनी देओल से
चंडीगढ़।
आज
1971
की
लड़ाई
को
आज
43
साल
पूरे
हो
गए
हैं।
जिस
समय
भारत
और
पाक
के
बीच
यह
जंग
लड़ी
गई
थी
उस
समय
शायद
आप
उसके
गवाह
नहीं
बने
थे।
फिल्म
बॉर्डर
के
जरिए
आपको
इस
जंग
की
एक
झलक
देखने
को
मिली
होगी।
इस
फिल्म
में
सनी
देओल
का
रोल
आज
भी
हर
किसी
के
जेहन
में
ताजा
है।
यह तो फिल्म की बात है हम आपको आज मिला रहे है रीयल लाइफ हीरो कुलदीप सिंह चांदपुरी से। जी हां, वही कुलदीप सिंह चांदपुरी, जिनका किरदार फिल्म बॉर्डर में सनी देओल ने निभाया था।
फिलहाल चंडीगढ़ में हैं ब्रिगेडियर चांदपुरी
आज वह मेजर से ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी हो गए हैं और सेना से रिटायर होकर चंडीगढ़ में अपने परिवार के साथ जिंदगी बिता रहे हैं। लौंगेवाला की लड़ाई के बारे में जो लोग जानते हैं , वह आज भी ब्रिगेडियर चांदपुरी को
इस लड़ाई का हीरो मानते हैं। लौंगेवाला पोस्ट शायद हमारी सेना के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक थी और इस चुनौती को पूरा करने का जिम्मा दिया गया था मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी को। वहीं यह ब्रिगेडियर चांदपुरी की विनम्रता है कि वह इस लड़ाई में मिली जीत का सारा श्रेय उन सैनिकों को देते हैं जो उस समय लौंगेवाला में दुश्मनों का डटकर मुकाबला कर रहे थे।
120 बहादुरों के साथ लड़ी गई लौंगेवाला की लड़ाई
1971 की लड़ाई के समय मेजर चांदपुरी को पंजाब रेजीमेंट की 23वीं बटालियन को लीड करने की जिम्मेदारी दी गई। इससे पहले वह 1965 की लड़ाई में भी पाक सेना को धूल चंटा चुके थे।
मेजर चांदपुरी के पास सिर्फ 120 लोगों का ट्रूप था तो सामने थे पाक की 51वीं इंफ्रेंटी ब्रिगेड के 2,000 से 3,000 सैनिक जिसके साथ 22वीं आर्म्ड रेजीमेंट की भी मदद मिल रही थी।
पांच दिसंबर 1971 को एकदम तड़के दुश्मन ने भारतीय सेना पर हमला बोल दिया। हालात मुश्किल थे और फिर भी मेजर चांदपुरी को इन हालातों का सामना करना था। पूरी रात उन्होंने 120 लोगों की कंपनी के साथ दुश्मनों का मुकाबला किया।
चांदपुरी अपने सैनिकों में रिइंफोर्समेंट आने तक जोश भरते रहे ताकि वह दुश्मन का मुकाबला कर सकें। एक बंकर से दूसरे बंकर तक जाकर वह अपने सैनिकों को उत्साहित करते रहे।
हमारे सैनिक आज भी सबसे बहादुर हैं
उस समय एयरफोर्स के पास जो एयरक्राफ्ट्स थे वह रात में लड़ाई नहीं कर सकते थे। सुबह तक मेजर चांदपुरी और उनकी कंपनी बहादुरों की तरह दुश्मन से लड़ती रही। सुबह जब एयरफोर्स पहुंची तो उसकी मदद सेना को मिली।
लड़ाई के बाद मेजर चांदपुरी को महावीर चक्र से पुरस्कृत किया गया। ब्रिगेडियर चांदपुरी की मानें तो भारतीय सेना आज भी बहुत बहादुर है और वह किसी भी तरह से दुश्मनों का मुकाबला कर सकती है।
लेकिन विवाद भी हुआ
वर्ष 2008 में इस लड़ाई के साथ एक नया विवाद सामने आ गया। मेजर जनरल आत्मा सिंह जिन्हें इस लड़ाई के लिए वीर चक्र मिला था वह, एयर मार्शल मोहिंदर सिंह बावा और आठ और लोगों ने दावा किया कि लौंगेवाला में सेना ने न तो कोई लड़ाई लड़ी और न ही चांदपुरी ने किसी तरह की कोई बहादुरी दिखाई।
यह सिर्फ एयरफोर्स थी जिसने दुश्मनों का सामना किया और पाक को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। इस बात पर ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने एयरफोर्स के आफिसर्स को आधिकारिक तौर पर चैंलेंज किया। ब्रिगेडियर चांदपुरी ने कहा कि उन्हें इस लड़ाई की वजह से लोकप्रियता हासिल हुई, उससे परेशान होकर इन अधिकारियों ने यह कदम उठाया है।
क्या सोचते हैं सनी के बारे में
सनी देओल ने बॉर्डर फिल्म में ब्रिगेडियर चांदपुरी का जो रोल अदा किया है, वह मानते हैं कि वाकई सलीके से निभाया किरदार है। इस रोल से पहले खुद सनी देओल ने ब्रिगेडियर चांदपुरी से मुलाकात की थी। ब्रिगेडियर की मानते हैं कि सनी ने जिस तरह से फिल्म में उनका किरदार किया है, वह युवाओं में जोश भरने को काफी है।