राष्ट्रपति ओबामा थपथपा रहे थे अपनी पीठ और तालिबान चुन रहा था नया नेता
वाशिंगटन। पिछले दिनों अमेरिका के ड्रोन हमले में अफगानिस्तान के खतरनाक आतंकी संगठन तालिबान के मुखिया मुल्ला अख्तर मंसूर की मौत हो गई। खुद अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने हमले को बड़ी सफलता बताकर उसकी मौत की पुष्टि कर दी।
तालिबान ने अपना नया नेता चुनने में जरा भी देर नहीं की है। तालिबान ने अख्तर मंसूर के डिप्टी मौलवी हयबतुल्ला अखुंजदा को अपना नया लीडर चुन लिया है।
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कौन है मौलवी हयबतुल्ला
- तालिबान के नए नेता हयबतुल्ला अखंजुदा के बारे में पिछले कुछ वर्षों में ज्यादा नहीं सुना गया था।
- वह इस संगठन का ऐसा आतंकी है जो शायद ही खबरों में कभी आया है।
- वर्ष 2001 में अफगानिस्तान से तालिबान का शासन खत्म होने के बाद तालिबान में शामिल हुआ था।
- हयबतुल्ला एक मौलवी है और वह तालिबान की ओर से नए नियमों को जारी करता है।
- तालिबान के चीफ जस्टिस मुल्ला अब्दुल हाकिम के डिप्टी के तौर पर काम किया।
- जिस समय तालिबान का शासन था हयबतुल्ला तालिबानी अदालतों के प्रशासन पर नजर रखने का काम करता था।
- मुल्ला उमर की मौत के बाद भी उसका नाम लीडरशिप के लिए कई बार खबरों में आया था।
- काफी संघर्ष और विरोध के बाद तालिबान ने मुल्ला अख्तर मंसूर को अपना नेता चुन लिया था।
- पाकिस्तान में हुई एक मीटिंग में उस समय तालिबान ने मंसूर को अपना नया नेता चुना था।
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कभी भी अनियंत्रित हो सकता है तालिबान
हयबतुल्ला के सामने वह तालिबान है जो अब टूट चुका है और उसके अंदर काफी मतभेद हैं। हयबतुल्ला को शांति प्रक्रिया को आगे बना होगा जिसकी शुरुआत मुल्ला अख्तर मंसूर ने की थी। कई लोगों का मानना है कि तालिबान अनियंत्रित हो सकता है।
अगर तालिबान अनियंत्रित हुआ तो फिर शांति प्रक्रिया पर खास असर पड़ेगा। तालिबान निश्चित तौर पर मुल्ला अख्तर मंसूर की मौत का बदला लेगा और यह सबसे बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
नेता चुनने में देर नहीं लगाता तालिबान
तालिबान ने अपने लीडर मुल्ला अख्तर मंसूर की मौत के बाद नया नेता किसी नामचीन आतंकी को न बनाकर उसे बनाया है जिसके बारे में शायद ही कभी सुना गया था।