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किशनगंगा बिजली परियोजना: विश्व बैंक के फैसले पर भारत ने उठाए सवाल

भारत ने विश्व बैंक से सिंधु जल संधि के तहत किशनगंगा और राटले पनबिजली परियोजनाओं को लेकर एक निष्पक्ष विशेषज्ञ नियुक्त करने की मांग की थी।

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नई दिल्ली। भारत ने सिंधु जल संधि के तहत किशनगंगा और राटले पनबिजली परियोजनाओं पर विश्व बैंक की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं।

Vikas swaroop

सिंधु जल संधि से जुड़ा है मामला

विदेश मंत्रालय की ओर से की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मुद्दे को उठाया गया। भारत की ओर से कहा गया कि सिंधु जल संधि के तहत किशनगंगा और राटले पनबिजली परियोजनाओं पर भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेद हैं।

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इसी पर विचार करने के दौरान विश्व बैंक की ओर से कानूनी तौर पर की गई असमर्थनीय कार्रवाई को लेकर भारत ने विश्व बैंक पर सवाल खड़े किए हैं।

फिलहाल भारत सरकार इस मामले को लेकर अलग से खास कदम उठाएगी। सरकार इस मुद्दे से जुड़े अन्य विकल्पों पर विचार करेगी। उसके अनुसार ही सिंधु जल संधि पर जरूरी कदम उठाएगी।

भारत ने की विशेषज्ञ नियुक्त करने की मांग

बता दें कि भारत ने विश्व बैंक से सिंधु जल संधि के तहत किशनगंगा और राटले पनबिजली परियोजनाओं को लेकर एक निष्पक्ष विशेषज्ञ नियुक्त करने की मांग की थी जबकि पाकिस्तान का इस मुद्दे पर नजरिया दूसरा था।

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पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर पंचाट गठन करने की मांग की थी। इसी मामले पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्त विकास स्वरुप ने कहा कि विश्व बैंक इस मुद्दे पर अस्पष्ट तरीके से दो समानांतर मार्गों पर चलने का फैसला किया है।

विश्व बैंक का एक साथ दो रास्ते पर आगे बढ़ना कानूनी तौर पर ठीक नहीं है। विदेश विभाग के प्रवक्ता की ओर से साफ कहा गया कि भारत किसी भी तरह से इन कार्रवाई का हिस्सा नहीं बनेगा जो सिंधु जल संधि से अलग हो।

सरकार कर रही जरूरी विकल्प पर विचार

विकास स्वरूप ने बताया कि सरकार जरूरी विकल्प पर विचार कर रही है और इसके अनुसार ही जरूरी फैसला लेगी।

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बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई है जिसमें विश्व बैंक भी शामिल है। इस संधि से जुड़े किसी भी मुद्दे पर विवाद के दौरान इसके हल में विश्व बैंक की भूमिका अहम होती है।

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English summary
MEA on World Bank action on Kishenganga Project differences between India & Pakistan on Indus Waters Treaty.
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