किशनगंगा बिजली परियोजना: विश्व बैंक के फैसले पर भारत ने उठाए सवाल
भारत ने विश्व बैंक से सिंधु जल संधि के तहत किशनगंगा और राटले पनबिजली परियोजनाओं को लेकर एक निष्पक्ष विशेषज्ञ नियुक्त करने की मांग की थी।
नई दिल्ली। भारत ने सिंधु जल संधि के तहत किशनगंगा और राटले पनबिजली परियोजनाओं पर विश्व बैंक की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं।
सिंधु
जल
संधि
से
जुड़ा
है
मामला
विदेश मंत्रालय की ओर से की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस मुद्दे को उठाया गया। भारत की ओर से कहा गया कि सिंधु जल संधि के तहत किशनगंगा और राटले पनबिजली परियोजनाओं पर भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेद हैं।
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On the issue of differences between India & Pakistan on Kishenganga & Ratle Hydroelectric Projects under the Indus Waters Treaty(cont): MEA
— ANI (@ANI_news) November 10, 2016
इसी पर विचार करने के दौरान विश्व बैंक की ओर से कानूनी तौर पर की गई असमर्थनीय कार्रवाई को लेकर भारत ने विश्व बैंक पर सवाल खड़े किए हैं।
India cannot be party to actions not in accordance w/ IWT: MEA on on World Bank's action on Kishenganga Project
— ANI (@ANI_news) November 10, 2016
फिलहाल भारत सरकार इस मामले को लेकर अलग से खास कदम उठाएगी। सरकार इस मुद्दे से जुड़े अन्य विकल्पों पर विचार करेगी। उसके अनुसार ही सिंधु जल संधि पर जरूरी कदम उठाएगी।
भारत ने की विशेषज्ञ नियुक्त करने की मांग
बता दें कि भारत ने विश्व बैंक से सिंधु जल संधि के तहत किशनगंगा और राटले पनबिजली परियोजनाओं को लेकर एक निष्पक्ष विशेषज्ञ नियुक्त करने की मांग की थी जबकि पाकिस्तान का इस मुद्दे पर नजरिया दूसरा था।
(cont) India had asked the World Bank to appoint a Neutral Expert to resolve the differences of a technical nature which are within the: MEA
— ANI (@ANI_news) November 10, 2016
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पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर पंचाट गठन करने की मांग की थी। इसी मामले पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्त विकास स्वरुप ने कहा कि विश्व बैंक इस मुद्दे पर अस्पष्ट तरीके से दो समानांतर मार्गों पर चलने का फैसला किया है।
(cont) domain of a neutral technical expert. Pak had sought the establishment of a Court of Arbitration, which is normally logical(cont):MEA
— ANI (@ANI_news) November 10, 2016
विश्व बैंक का एक साथ दो रास्ते पर आगे बढ़ना कानूनी तौर पर ठीक नहीं है। विदेश विभाग के प्रवक्ता की ओर से साफ कहा गया कि भारत किसी भी तरह से इन कार्रवाई का हिस्सा नहीं बनेगा जो सिंधु जल संधि से अलग हो।
(cont)next step in process of resolution in Treaty.Neutral Expert can also determine that there are issues beyond mere technical difrncs:MEA
— ANI (@ANI_news) November 10, 2016
सरकार कर रही जरूरी विकल्प पर विचार
विकास स्वरूप ने बताया कि सरकार जरूरी विकल्प पर विचार कर रही है और इसके अनुसार ही जरूरी फैसला लेगी।
सरकार को नए नोट लाना था, इसलिए रघुराम राजन को जाना पड़ा!
Was pointed by Govt to World Bank that pursuit of 2 parallel difference/dispute resolution mechanisms at same time is legally untenable: MEA
— ANI (@ANI_news) November 10, 2016
बता दें कि भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई है जिसमें विश्व बैंक भी शामिल है। इस संधि से जुड़े किसी भी मुद्दे पर विवाद के दौरान इसके हल में विश्व बैंक की भूमिका अहम होती है।
Inexplicably, the World Bank has decided to continue to proceed with these two parallel mechanisms simultaneously: MEA
— ANI (@ANI_news) November 10, 2016