ELECTION SPECIAL: मणिपुर, जहांं चुनाव लड़ने वालों को मिलता है 'चढ़ावा'
मणिपुर में चुनावों के दौरान एक ऐसी रस्म दिखती है जिसके तार शायद पुरानी राजशाही से जुड़े हो सकते हैं।
राजनेताओं के कट्स आउट, वो भी चुनाव के वक़्त तो बहुत देखे थे लेकिन ये कुछ अलग-सा था। सड़क के किनारे नेताजी की तस्वीर के सामने कलश और केले के पत्ते पर फल। फ़ौजी श्यामचंद से बात करते ही सबकुछ साफ हो गया। वे कहते हैं, "मणिपुर में लीडरों के समर्थक या क़रीबी उनकी जीत के लिए प्रार्थना करते हैं स्थानीय देवी-देवता को चढ़ावा चढ़ाकर। जिसे फिर यूं रख दिया जाता है।"
अपनी स्कूटर पर बैठे वो मुझे बताते हैं कि समर्थकों को यक़ीन होता है कि ऐसा करने से उनके नेता की जीत होगी। कई जगहों पर सड़क के किनारे शामियाने लगे, लोग दरियों पर बैठे हुए, और पानी से भरे हुए पीतल के कलश जिनमें फूल तैर रहे थे। और पास में कई तरह के फल पत्तों पर रखे, पास में मोमबत्ती या जलता हुआ दिया।
एथेन पॉट थिंबा रस्म
पूर्वोतर भारतीय इस सूबे में चुनाव के वक़्त कुछ ऐसे आयोजन होते हैं जिसे लोग राजशाही काल की परंपरा के जारी रहने के जैसा मानते हैं। जैसे एथेन पॉट थिंबा, जिसमें समर्थक नेता के लिए भेंट लेकर आते हैं। लोग अपने क्षेत्र के उम्मीदवार के लिए फल-फूल. तरह-तरह के चावल, सब्ज़ी और शहद जैसी सौग़ात लाते हैं।
शिक्षक महेश्वर वैखा कहते हैं कि मणिपुर में उम्मीदवार के ज़रिए लोगों के लिए खान-पान की व्यवस्था किए जाने के चलन के उलट समर्थक ही नेता को खाने के सामान देते हैं।
राजतंत्र से जुड़ी रस्म
कहा जाता है कि सूबे में राजतंत्र के वक़्त प्रजा अपनी पैदावार का कुछ हिस्सा राजा को दिया करती थी, उसमें प्रजातंत्र में एक नया रूप ले लिया है। वैखा कहते हैं कि सौग़ात देना इस बात का इज़हार होता है कि हम आपके साथ हैं।
वो कहते हैं कि चुनाव प्रचार के शुरूआत में हर उम्मीदवार अपनी पार्टी का झंडा फहराता है, समर्थक वहां सौग़ात के साथ आते हैं और इन्हें झंडे के पास रखते जाते हैं। झंडे के पास तुलसी का पत्ता भी रखा जाता है। और मोमबत्ती या दीये जलाकर भी रखे जाते हैं।