क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

घर में टॉयलेट बनवाकर फंसा परिवार, सरकार ने नहीं दिया पैसा, बेटा हो गया कैद

प्रशासन की सख्ती की वजह से लोन लेकर टॉयलेट बनवाने वाले लोगों की मुश्किल बढ़ गई है। उनका कर्ज लगातार बढ़ रहा है और एक साल होने के बाद भी केंद्र सरकार से पैसा नहीं मिला।

By Brajesh Mishra
Google Oneindia News
रायपुर। 'स्वच्छ भारत अभियान' के तहत घर में टॉयलेट बनवाने वाले एक परिवार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। छत्तीसगढ़ के अंडी गांव में कुछ लोगों ने ब्याज के पैसे लेकर घरों में टॉयलेट बनवा लिए लेकिन सरकार की ओर से मिलने वाली प्रोत्साहन राशि नहीं मिली। कर्ज चुकाने के लिए काम की तलाश में शहर गए लोगों को धोखा मिला और उन्हें पैसे देने के बजाय कैद कर लिया गया। पीड़ित परिवार अब दर-दर भटक रहे हैं।
घर में टॉयलेट बनवाकर फंसा परिवार, सरकार ने नहीं दिया पैसा, बेटा हो गया कैद

जान से मारने की धमकी भी दी
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 52 वर्षीय भागीरथी खांडे का बेटा, बहू अपनी 18 महीने की बेटी को लेकर नवंबर में काम के लिए यूपी के देवरिया जिले के लिए निकले थे। वहां उन्हें ईंट भट्ठों पर काम मिलने वाला था। स्वच्छ भारत अभियान के तहत टॉयलेट बनाने के लिए उन्होंने लोन लिया था। दो महीने पहले खांडे के बेटे शोभ ने पहली बार फोन किया और मदद की गुहार लगाई। उसने बताया कि उन्हें तय पैसा नहीं दिया जा रहा और मारपीट की जाती है। उन्हें जान से मारने की धमकी भी मिल रही है। READ ALSO: 2000 के नोटों की प्रिंटिंग को लेकर बड़ा खुलासा, घिरी सरकार

महिला की तस्वीर पर हुआ था काफी विवाद
छत्तीसगढ़ के इन इलाकों से काम के लिए पलायन कोई नई बात नहीं है लेकिन इस साल आंकड़ा बढ़ा है। बीते साल मालखारोदा ब्लॉक के सभी गांव खुले में शौच से मुक्त घोषित कर दिए गए थे। अंडी गांव के सभी 125 घरों में टॉयलेट बनवाए जा चुके थे। प्रशासन ने इसके लिए दबाव डाला था और खुले में शौच करने वालों को शर्मिंदा किया जिससे लोग टॉयलेट बनवाने को मजबूर हो गए। स्थानीय एक्टिविस्ट पुष्पेंद्र खुंटे ने बताया कि एक बार अधिकारियों ने खुले में शौच के लिए गई एक महिला की तस्वीर खींच ली थी और उसे जारी कर दिया। इस पर काफी विवाद हुआ था। READ ALSO: यूपी चुनाव के बीच बीजेपी के लिए बड़ी खुशखबरी, ओडिशा में 71 सीटों पर दर्ज की जीत

केंद्र से पैसा आने की रफ्तार धीमी
गांव के लोगों ने कुछ महीनों में महसूस किया कि बदलाव तो आया है लेकिन बड़ी कीमत पर। खांडे ने कहा, 'मैंने 18000 रुपये खर्च करके टॉयलेट बनवाया। सरकार ने कहा था कि वह 12000 रुपये देगी। अंडी गांव में कोई भी नहीं है जिसे सरकार से पैसा मिला हो। एक साल बाद भी वह पैसा नहीं आया। अगर उन्होंने पहले बताया होता कि पैसा नहीं आएगा तो हम टॉयलेट बनवाने से मना कर देते।' एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पैसा सबसे बड़ी समस्या है। सरकार काम शुरू होने से पहले पैसा नहीं देती। लोगों तक पैसा आने में भी काफी वक्त लगता है। केंद्र से पैसा राज्य को आता है। राज्य से जिले और जिले से पंचायतों में पैसा पहुंचता है। पैसा आने रफ्तार धीमी है और लोगों के कर्ज बढ़ रहे हैं।

पुष्पेंद्र खुंटे ने बताया कि गांव में 5 फीसदी ब्याज पर कर्ज मिलता है। कभी-कभी तीन फीसदी पर भी मिल जाता है। ऐसे में यदि कोई 20000 रुपये कर्ज लेता है तो उसे 32000 रुपये लौटाने होंगे। यह राशि गांव के लोगों की जेब से बाहर है।

Comments
English summary
man took loan to build toilet wait for money from modi govt is not over yet.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X