पंडित नेहरु की पुण्यतिथि और ममता बनर्जी का शपथ ग्रहण!
कोलकाता। 27 मई 2016 को ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्रीके तौर पर दूसरी बार शपथ ली और इसके साथ ही एक और नया इतिहास अपने नाम दर्ज करा लिया। ममता बनर्जी इस राज्य की पहली ऐसी मुख्यमंत्री बन गई है जो गैर-वामपंथी हैं और जिन्हें दूसरी बार राज्य की कमान मिली है।
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नेहरु की पुण्यतिथि पर ममता बनीं फिर सीएम
वहीं एक और दिलचस्प बात थी जिसने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। वह था ममता बनर्जी ने उस दिन को अपने शपथ ग्रहण के लिए चुना जिस दिन देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु का निधन हुआ था। शुक्रवार को पंडित नेहरु की 52वीं पुण्यतिथि थी।
27 मई 1964 और 27 मई 2016
27 मई 1964 को पंडित नेहरु के निधन के साथ ही देश में उस दौर की राजनीति का अंत हुआ था जो कहीं न कहीं आदर्शों के अलावा एलीट वर्ग का भी प्रतिनिधित्व करती थी। नेहरु के निधन के साथ उनके उस सपने का अंत भी हो गया जहां वह देश को एक एलीट लेकिन आदर्शों पर चलते हुए देखना चाहते थे।
नेहरु की तरह राजनीति में यकीन करतीं ममता
कहीं न कहीं ममता बनर्जी नेहरु के सिंद्धातों पर चलते हुए एक ऐसे ब्रांड की राजनीति को आगे बढ़ाने में यकीन रखती हैं, जिसे नेहरु के दौर में देखा गया था।
नेहरू की सोच से अलग है ममता की सोच
वह भी नेहरु की तरह हर मुश्किलों को आगे बढ़कर अपने ही तरीके से राजनीति करने में यकीन रखती हैं। शायद इसलिए ही उन्हें लगा कि 27 मई के अलावा उन्हें इससे बेहतर दिन कोई और नहीं मिल सकता, जब वह अपने राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लें।