पशु क्रूरता अधिनियम 1960 की नई अधिसूचना पर ममता ने दी अदालत जाने की चेतावनी
पशु क्रूरता अधिनियम 1960 के विषय में जारी की गई नई अधिसूचना का तमाम दल विरोध कर रहे हैं।
कोलकाता। केंद्र सरकार ने पूरे देश में स्थित पशुओं के बाजार में हत्या के लिए मवेशियों के बेचे जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। पशु क्रूरता अधिनियम 1960 के अंतर्गत केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने नई अधिसूचना जारी की है। इस अधिसूचना के आने के बाद इसका विरोध शुरू हो गया है।
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कांग्रेस और वामदलों के बाद सोमवार को तृणमूल कांग्रेस और द्रविण मुनेत्र कड़गम ने अधिसूचना का विरोध किया है। उन्होंने सरकार के इस आदेश के समयावधि पर सवाल किया है।
मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि ऐसा नियम रमजान के वक्त क्यों लिया गया? उन्होंने इस अधिसूचना पर कोर्ट में जाने की चेतावनी भी दी।
हम नहीं मानेंगे ये अधिसूचना
ममता ने कहा कि ना तो हम इस मानेंगे और ना ही हम इसके लिए बाध्य हैं। यह असंवैधानिक है। यह ऐसी सरकार है जो गाय के लिए आधार कार्ड रखना चाहती है। क्या खाना है और क्या नहीं इसका फैसला कोई सरकार नहीं करेगी।
ममता ने यह भी कहा कि सरकारों का आना जाना लगा रहता है लेकिन आप लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के साथ नहीं खेल सकते। डीएमके के एमके स्टालिन प्रतिबंध के खिलाफ 31 मई को चेन्नई में प्रदर्शन करेंगे।
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ये है नया नियम
नई अधिसूचना के मुताबिक देश के भर के पशु बाजारों में मवेशियों की खरीद करने वाले शख्स को लिखित में यह वादा करना होगा कि इनका इस्तेमाल खेती के काम में किया जाएगा, ना कि मारने के लिए।
बता दें कि नए नियमों के अनुसार मवेशियों में संबंधित क्रय विक्रय में कागजी कार्रवाई बढ़ा दी गई है। अब हर खरीद और बिक्री से पहले खरीदने और बेचने वाले को अपना पहचान पत्र और स्वामित्व का सबूत पेश करना होगा। साथ ही सबूत की कॉपी जिले के राजस्व अधिकारी, पशु चिकित्सा अधिकारी, पशु बाजार समिति और विक्रेता को भी उपलब्ध कराना होगा।
नई अधिसूचना में यह भी जोड़ा गया है कि कोई व्यक्ति मवेशी खरीदने के 6 माह के भीतर उन्हें बेच नहीं सकता। इसके साथ ही अंतरारष्ट्रीय सीमा 50 और राज्यों की सीमा से 25 किलोमीटर के भीतर पशु बाजार लगाए जाने पर भी रोक लगा दी गई है।
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