यूपी की इस बेटी ने किया वो बेहतरीन काम, पढ़कर आप भी करेंगे नाज
मैनपुरी। 5वीं कक्षा में पढ़ने वाली महज 10 साल की एक बच्ची अगर पूरे देश के लिए प्रेरणा बन जाए तो ऐसी बेटी पर किसे नाज नहीं होगा। यूपी के मैनपुरी की इस बेटी ने अपने घर में शौचालय बनवाने के लिए दो साल तक लंबा संघर्ष किया और आखिरकार उसके पिता को उसकी मांग के आगे झुकना ही पड़ा।
आज इस बेटी यानि मोनिका के घर में शौचालय है और अपनी सफलता पर मोनिका भी बेहद खुश है। मोनिका के पिता सुभाष चंद मैनपुरी में करहल तहसील के एक गांव में छोटी सी दुकान चलाते हैं। मोनिका अभी 5वीं कक्षा में पढ़ती है और उसका भाई 11वीं कक्षा में है। मोनिका का सपना एक आईपीएस अधिकारी बनने का है।
पिता की जुबानी, मोनिका की मुहिम की कहानी
सुभाष बताते हैं, 'मैं बेहद हैरान रह जाता था, जब मोनिका मेरे सामने खुले में शौच करने से होने वाली बीमारियों के बारे में बताती थी। मोनिका का इन बीमारियों को बताने का तरीफा भी ऐसा था कि मैं एक बारगी सोच में पड़ जाता था। मोनिका को ये सारी जानकारी टीवी या अखबार, ना जाने कहां से मिली, लेकिन उसकी बातें सुनकर मैं घर में शौचालय बनवाने को मजबूर हो गया।
पूरा गांव कर रहा इस बेटी की तारीफ
खुद मोनिका बताती है कि उसे खुले में शौच करने का विरोध करने के लिए 2 साल तक संघर्ष करना पड़ा। जब भी वो अपने पिता से शौचालय बनवाने के लिए कहती तो उसके पिता पैसे की कमी बताकर उसकी मांग को टाल देते थे। ...लेकिन मोनिका ने हार नहीं मानी, उसने लगातार अपनी मांग जारी रखी और आखिरकार उसके पिता को उसकी बात माननी ही पड़ी। अब जब मोनिका के घर में शौचालय बन गया है तो पूरा गांव इस बेटी की तारीफ करते नहीं थक रहा है।
अपने ही घर से छेड़ी मुहिम
स्वच्छ भारत मिशन की प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर नीरजा शर्मा ने भी मोनिका के इस प्रयास की सराहना की है। उन्होंने बताया कि मोनिका ने इधर-उधर से स्वच्छ भारत मिशन के बारे में जानकारी इकट्ठा की। सबसे ज्यादा जानकारी मोनिका को अपने चचेरे भाई से मिली, जो पंचायत सचिव हैं। इसके बाद उसने खुले में शौच करने के खिलाफ अपने ही घर में एक मुहिम छेड़ दी और सफलता हासिल की।
देशभर के लिए बन गई प्रेरणा
नीरजा के मुताबिक, 'मोनिका ने अपने गांव में दूसरे लोगों के लिए भी एक उदाहरण पेश किया है। 2 अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी, उसके बाद से लगातार हमने देखा है कि परिवारों में छोटे बच्चे भी खुले में शौच के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं और शौचालय बनवाने के लिए परिवार को मजबूर कर रहे हैं। बच्चों की इस कोशिश से हमें काफी मदद मिलती है।'