लिंगायत संप्रदाय का मोहन भागवत को दो टूक कहा, धर्म के मामले में दखलंदाजी ना करें तो बेहतर होगा!
बेंगलूरू। हिन्दू वैदिक धर्म से अलग होने और अपने समुदाय को एक अलग धर्म के रूप में पहचान दिलाने की जद्दोजहद कर रहे लिंगायत समाज के शीर्ष नेताओं और पुरोहितों ने मंगलवार को मोहन भागवत को इस मामले में हस्तक्षेप ना करने की चेतावनी दी है। अपनी मांगों को लेकर लिंगायत समुदाय के हजारों लोगों ने मंगलवार को बेलागावी में एक विशाल रैली का आगाज किया।
पीएम
तक
हमारी
मांगे
पहुचाएं
भागवत
बता
दें
कि
लिंगायत
संमुदाय
की
ओर
से
यह
बयान
उस
वक्त
आया
है
जब
पिछले
दिनों
हुबली
में
एक
सभा
के
दौरान
आरएसएस
प्रमुख
मोहन
भागवत
ने
समुदाय
के
लोगों
से
अलग
धर्म
की
मांग
ना
करने
की
सलाह
दी
थी।
लिंगायत
आंदोलन
की
महिला
नेता
"माथे
महादेवी"
ने
मंगलवार
को
आयोजित
रैली
में
कहा
कि
आरएसएस
प्रमुख
मोहन
भागवत
को
चाहिए
कि
वह
अपना
ध्यान
प्रधानमंत्री
नरेंद्र
मोदी
से
कह
कर
हमारी
मांगे
मानवाने
लगाएं,
ना
कि
हमारे
रास्ते
में
रोड़ा
बनने
का
काम
करें।
उन्होंने
कहा
कि
लिंगायत
समुदाय
वैदिक
हिंदू
धर्म
से
अलग
होकर
स्वतंत्र
रूप
से
खुद
का
धर्म
स्थापित
करेगा
और
ऐसा
करने
से
हमें
कोई
ना
रोके
यही
बेहतर
होगा।
वैदिक
विचारधारा
से
कोई
सरोकार
नहीं
समुदाय
के
लोगों
का
कहना
है
कि
हम
लोकतंत्र
पर
भरोसा
रखते
हैं
और
इसे
ही
अपना
आदर्श
मानते
हैं।
हमारा
वैदिक
विचारधारा
से
कोई
सरोकार
नहीं
है
इसलिए
हमें
एसे
नेताओं
की
सलाह
की
भी
कोई
जरूरत
नहीं
है।
बता
दें
कि
लिंगायत
समाज
के
लोगों
की
कर्नाटक
में
संख्या
करीब
17
प्रतिशत
के
आसपास
है
जो
कि
सबसे
बड़ी
संख्या
है।
लिंगायत
समुदाय
उत्तरी
कर्नाटक
में
बीजेपी
समर्थक
रहा
है।
यही
नहीं
कर्नाटक
से
जुड़े
महाराष्ट्र
और
तेलंगाना
में
भी
इस
लिंगायत
समाज
की
संख्या
बहुत
बड़ी
तादात
में
हैं।