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जानें बचपन से अबतक कैसा रहा लांस नायक हनुमनथप्पा का सफर
देश क्या शहर क्या आज हर एक मुहल्ला रोया है,
आंखों से आंसू कह रहे हैं कि हमने एक जांबाज खोया है.
नयी दिल्ली। हनुमनथप्पा अलविदा कह गए। सियाचीन की बर्फ सच में इस वीर के लिए कब्र साबित हो गई। बीते दिनों सियाचीन की 35 फीट गहरी बर्फ के नीचे से हनुमनथप्पा को जीवित बाहर निकाला गया। जिसके बाद उनका इलाज दिल्ली के आर आर अस्पताल में चल रहा था। सोशल मीडिया के जरिए हो या फिर लोगों की जुबानें इस शूर वीर के जीवन के लिए प्रार्थनाएं कर रही थीं। पर, ईश्वर को शायद कुछ और ही मंजूर था। देश के जांबाज की शहादत के बाद उनसे कई जिज्ञासाएं जहन में आ रही होंगी। आप भी जानना चाहते होंगे कि हनुमनथप्पा कौन थे। किस तरह का उनका बचपन रहा होगा। आईये जानते हैं।
- हनुमनथप्पा का पालन पोषण कर्नाटक में हुआ। बताया जाता है कि वह हर करीबन 6 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाया करते थे।
- हनुमनथप्पा का बचपन गरीबी में बीता, उनकी कमाई के जरिए ही परिवार का पालन पोषण हो रहा था।
- भर्ती के दौरान उन्हें तीन बार रिजेक्ट किया लेकिन उन्होंने तब तक हार नहीं मानी जब तक वो सेना में भर्ती नहीं हो गए।
- हनुमंथप्पा 25 अक्टूबर 2002 को मद्रास रेजिमेंट की 19वीं बटालियन में शामिल हुए थे।
- 2003 से 2006 तक वो जम्मू-कश्मीर के माहोर में तैनात रहे। इस दौरान उन्होंने आतंकियों के खिलाफ लोहा लिया। 2008 से 2010 तक फिर वो जम्मू-कश्मीर में आए। इस बार वो 54 राष्ट्रीय राइफल्स मद्रास के साथ थे। 2010 से 2012 के बीच उनकी तैनाती पूर्वोत्तर में हुई, जहां उन्होंने एनडीएफबी और उल्फा से लोहा लिया।
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- 10 मद्रास रेजीमेंट का हिस्सा रहे हनुमनथप्पा को हाल ही में सियाचीन तैनात कर दिया गया था।
- हनुमनथप्पा के परिवार में उनकी पत्नी माधवी और दो साल की बेटी एवं उनके माता-पिता हैं।
-
अगस्त
2015
में
उनकी
पोस्टिंग
सियाचिन
में
हुई।
दिसंबर
2015
उन्होंने
खुद
19600
फीट
की
ऊंचाई
पर
मौजूद
चौकी
पर
तैनाती
ली
थी।
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English summary
Daring, highly motivated and one who was always ready to stare death in the face, not flinching a bit. That was Lance Naik Hanumanthappa Koppad, Life History of Lance Naik Hanumanthappa.
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