आइये जानें कविमन अटल जी की पसंदीदा कविताएं
नई दिल्ली( विवेक शुक्ला) कौन नहीं जानता कि अटल बिहारी वाजपेयी को कविताएं सुनना और उन्हें गुनगुनाना पसंद है। उन्हें सैकड़ों कविताएं याद हैं। आइये जान लेते हैं उनकी कुछ बेहद पसंदीदा कविताएं। इन्हें वे विभिन्न अवसरों पर सुनाते रहे हैं।
जंग न होने देंगे
जंग
न
होने
देंगे!
विश्व
शांति
के
हम
साधक
हैं,
जंग
न
होने
देंगे!
कभी
न
खेतों
में
फिर
खूनी
खाद
फलेगी,
खलिहानों
में
नहीं
मौत
की
फसल
खिलेगी,
आसमान
फिर
कभी
न
अंगारे
उगलेगा,
एटम
से
नागासाकी
फिर
नहीं
जलेगी,
युद्धविहीन
विश्व
का
सपना
भंग
न
होने
देंगे।
जंग
न
होने
देंगे।
हथियारों
के
ढेरों
पर
जिनका
है
डेरा,
मुँह
में
शांति,
बगल
में
बम,
धोखे
का
फेरा,
कफन
बेचने
वालों
से
कह
दो
चिल्लाकर,
दुनिया
जान
गई
है
उनका
असली
चेहरा,
कामयाब
हो
उनकी
चालें,
ढंग
न
होने
देंगे।
जंग
न
होने
देंगे।
हमें
चाहिए
शांति,
जिंदगी
हमको
प्यारी,
हमें
चाहिए
शांति,
सृजन
की
है
तैयारी,
हमने
छेड़ी
जंग
भूख
से,
बीमारी
से,
आगे
आकर
हाथ
बटाए
दुनिया
सारी।
हरी-भरी
धरती
को
खूनी
रंग
न
लेने
देंगे
जंग
न
होने
देंगे।
भारत-पाकिस्तान
पड़ोसी,
साथ-साथ
रहना
है,
प्यार
करें
या
वार
करें,
दोनों
को
ही
सहना
है,
तीन
बार
लड़
चुके
लड़ाई,
कितना
महँगा
सौदा,
रूसी
बम
हो
या
अमेरिकी,
खून
एक
बहना
है।
जो
हम
पर
गुजरी,
बच्चों
के
संग
न
होने
देंगे।
जंग
न
होने
देंगे।
आओ
फिर
से
दिया
जलाएं
आओ
फिर
से
दिया
जलाएं
भरी
दुपहरी
में
अंधियारा
सूरज
परछाई
से
हारा
अंतरतम
का
नेह
निचोड़ें-
बुझी
हुई
बाती
सुलगाएँ।
आओ
फिर
से
दिया
जलाएँ
हम
पड़ाव
को
समझे
मंज़िल
लक्ष्य
हुआ
आंखों
से
ओझल
वतर्मान
के
मोहजाल
में-
आने
वाला
कल
न
भुलाएं।
आओ
फिर
से
दिया
जलाएं।
आहुति
बाकी
यज्ञ
अधूरा
अपनों
के
विघ्नों
ने
घेरा
अंतिम
जय
का
वज़्र
बनाने-
नव
दधीचि
हड्डियां
गलाएँ।
आओ
फिर
से
दिया
जलाएँ
उम्मीद करनी चाहिए कि देश एक बार अटल जी से उनकी पसंदीदा कविताओं को सुने