सबरीमाला: सरकार ने अपना स्टैंड बदला, कहा- हर महिला का हो मंदिर में प्रवेश
नई दिल्ली। केरल सरकार ने अपने रुख में बदलाव करते हुए सबरीमाला मंदिर के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय में कहा है कि हर उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश दिया जाना चााहिए।
हालांकि सबरीमाला मंदिर के बोर्ड ने सरकार के बदल रुख पर आपत्ति जताई और कहा कि सरकार अपने स्टैंड से पीछे नहीं हट सकती।
न्यायालय इस मामले की अगली सुनवाई अगले साल 13 फरवरी को करेगा।
क्या अब सबरीमाला मंदिर में टूटेगी 1500 साल पुरानी परंपरा?
बता दें कि केरल की पूर्व UDF सरकार ने मंदिर प्रशासन की हां में हां मिलाते हुए कहा था कि धार्मिक मान्यताओं के कारण महिलाओं को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
वहीं मौजूदा LDF की सरकार ने न्यायालय में कहा है कि हर उम्र वर्ग की महिला को मंदिर में प्रवेश मिलना चाहिए।
ये है पुरानी व्यवस्था
बता दें कि पुरानी मान्यता के अनुसार सबरीमाला मंदिर में परंपरा के मुताबिक, 10 से 50 साल की महिलाओं की एंट्री पर बैन है। ऐसे में इस परंपरा के खिलाफ केरल के यंग लॉयर्स एसोसिएशन ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
केरल में स्थित सबरीमाला श्री अयप्पा मंदिर मक्का-मदीना के बाद दूसरे सबसे बड़े तीर्थ स्थानों में से माना जाता है। इस मंदिर में हर साल करोड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है, जिसमें केवल पुरुष ही होते हैं।
यहां महिलाओं की एंट्री नहीं होती। माना जाता है कि भगवान श्री अयप्पा ब्रह्माचारी थे इसलिये यहां 10 से 50 वर्ष की लड़कियों और महिलाओं का आना वर्जित है।
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छोटी बच्चियों को प्रवेश की छूट है ये मंदिर अपनी मान्यताओं को विश्वास की वजह से मशहूर है। इस मंदिर के पट साल में दो बार खोले जाते हैं।
15 नवंबर और 14 जनवरी को बस दो ही बार इस मंदिर के कपाट खुलते हैं। इन दिनों भक्त घी से भगवान की मूर्ती का अभिषेक कर के मंत्रों का उच्चारण होता है।