करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी हिमाचल से खत्म नहीं हो रहा लैंटाना
हिमाचल प्नदेश में लैंटाना एक महामारी की तरह फैल रहा है। और इसका सही से उन्मूलन नहीं किया जा रहा है। लैंटाना उन्मूलन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हो रहा है।
शिमला। हिमाचल प्रदेश में चलाये जा रहे लैंटाना हटाओ अभियान की कामयाबी को लेकर सरकार भी आशवस्त नहीं है। फिर भी इस पर करोड़ों रुपये खर्च किये जा चुके हैं। प्रदेश के वन मंत्री का कहना है कि बुरी तरह फैल चुका लैंटाना को नष्ट करने में अभी लगभग 20 साल और लग जायेंगे।
विधानसभा में भाजपा विधायक डॉ राजीव बिंदल के सवाल का जवाब देते हुए वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने कहा कि प्रदेश में वन भूमि के लगभग 235492 हेक्टेयर क्षेत्र में लैंटाना फैला है इसको खत्म करने के लिये 82.52 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।
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उन्होंने कहा कि कृषि और वन भूमि पर लैंटाना का अटैक है और 20 साल में ये राज्य के 75 प्रतिशत भाग में फैल जायेगा। डॉ. बिंदल ने आरोप लगाया कि वन विभाग लैंटाना के उन्मूलन पर गंभीर नहीं है और केवल उपर से काटा जा रहा है और जड़ों से नहीं उखाड़ा जा रहा। उन्होंने कहा कि विभाग ने वहां नए पौधे भी नहीं लगाए। उन्होंने इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की जांच की मांग की।
इस पर वन मंत्री ने कहा कि लैंटाना को कल रूट स्टाक विधि से काटा जा रहा है और इस विधि के द्वारा लैंटाना ग्रस्त क्षेत्र को अब 4 वर्ष तक उपचारित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि लैंटाना पक्षियों और भेड़ बकरियों की बीट से फैलता है। इसका बीज जहां गिरता है वहां पर लैंटाना फैल जाता है। इसकी रोकथाम के लिये सरकार ने बड़े पैमाने पर अभियान चलाया है।
भरमौरी ने कहा कि लैंटाना गंभीर समस्या है और यह पहाड़ों में 4500 फीट से कम ऊंचाई पर फैलता है। राज्य के निचले क्षेत्र में इस समस्या से निपटने के लिए 2013-14 में विशेष अभियान शुरू किया है और इसको जड़ के खत्म करने के बाद इसके स्थान पर बांस, कचनार, तूनी, सफेदा, शीशम, सांगवान आदि के पौधे लगाए हैं।
उन्होंने जानकारी दी कि कांगड़ा के नूरपुर क्षेत्र में यह बड़े पैमाने पर फैला था और वहां पर लैंटाना को समाप्त करने का अभियान चलाया है। उन्होंने कहा कि धर्मशाला में 1332 हेक्टेयर, नाहन में 672 हेक्टेयर और मंडी में 575 हेक्टेयर में नए पौधे लगाए गए हैं। भरमौरी ने कहा कि निजी भूमि में कितना फैला है, इसकी जानकारी कृषि विभाग ही दे सकता है।
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