इस्तीफा देकर 13 साल पहले की गलती नहीं करना चाहती हैं उमा भारती
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत 13 नेताओं का षडयंत्र का मुकदमा चलाए जाने की सुप्रीम कोर्ट की अनुमति मिलने के बाद नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आने लगी
नई दिल्ली। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत 13 नेताओं का षडयंत्र का मुकदमा चलाए जाने की सुप्रीम कोर्ट की अनुमति मिलने के बाद नेताओं की प्रतिक्रिया सामने आने लगी हैं। इस पर टिप्पणी करते हुए केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा है कि खुद पर षडयंत्र का मुकदमा चलाए जाने पर वो अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगी। उन्होंने कहा कि जो बात कोर्ट ने कही है मैं उसपर विवेचना नहीं करना चाहती, यह कोर्ट का अपमान होगा। मैं एक ही बात कहना चाहती हूं कि जो हुआ सब कुछ खुल्लम खुल्ला था, मन, वचन और कर्म से मैं भव्य राम मंदिर निर्माण के पक्ष में हूं। उन्होंने कहा कि षडयंत्र की बात तो तब होती जब मैं कुछ छिपाना चाहती, मैं गर्व से कहना चाहती हूं कि मैंने राम मंदिर के आंदोलन में हिस्सा लिया।
दोबारा मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब उमा भारती का पूरा नहीं हो पाया
उमा भारती ने साफ कर दिया है कि इस मामले में वो इस्तीफा नहीं देंगी। ऐसा नहीं है कि उमा भारती से इससे पहले किसी महत्वपूर्ण पद से इस्तीफा नहीं दिया। पर इस्तीफा देकर वो कुछ परिणाम भुगत चुकी हैं। इससे पहले उमा भारती ने एक महत्वपूर्ण पद से इस्तीफा दिया था और वो पद था मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का। इसके बाद दोबारा मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब उमा भारती का पूरा नहीं हो पाया और साथ ही भाजपा के साथ संबंध भी खराब हो गए थे। ऐसे में सीधे तौर पर कहा जा सकता है कि शायद उमा भारती को इस बात का एहसास है कि इस्तीफा देने के बाद राजनीति में क्या होता है। पढ़िए क्या हुआ था इससे पहले उमा भारती के साथ।
मुख्यमंत्री पद से दिया इस्तीफा
मध्य प्रदेश में कांग्रेस सत्ता में काबिज थी और वहां पर भाजपा वापस सत्ता पाने के लिए संघर्ष कर रही थी। तब भाजपा ने यह जिम्मेदारी उस समय की तेजतर्रार नेता उमा भारती को सौंप दी थी। उमा भारती ने उस समय पार्टी को आगे बढ़ाने में बहुत मदद की और वर्ष 2003 तक भाजपा को इस काबिल बना दिया कि उस साल हुए चुनावों में भाजपा को तीन-चौथाई बहुमत मिला और वो मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री बन गईं। एक साल बाद अगस्त 2004 में उमा भारती के खिलाफ वर्ष 1994 में हुए हुबली दंगों के संबंध में वारंट जारी हुआ तो उस समय उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
भारतीय जन शक्ति पार्टी बनाई
उस समय को पद की गरिमा को ध्यान में रखते हुए उमा भारती ने इस्तीफा दे दिया पर फिर राजनीति ने कुछ ऐसी पलटी मारी कि वो चाहकर भी दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन पाईं। इसके बाद उनका भाजपा से नाराजगी का दौर शुरु हो गया। उमा भारती ने पार्टी के खिलाफ खूब बयानबाजी की और धीरे-धीरे पार्टी में उनका कद कम होता गया। मध्य प्रदेश की दोबारा मुख्यमंत्री न बनाए जाने पर उमा भारती ने लाल कृष्ण आडवाणी तक की आलोचना कर दी और यही नहीं भाजपा से बगावत करके एक नई पार्टी भारतीय जन शक्ति पार्टी तक बना ली।
6 साल बाद हुई भाजपा में वापसी
पर भाजपा से बहुत दिनों तक तक वो दूर नहीं रह पाईं और 6 साल बाद भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने 7 जून 2011 को उमा भारती की पार्टी में वापसी की घोषणा की। उमा भारती उत्तर प्रदेश के 2012 के चुनाव में चरखारी से चुनाव लड़ी और जीत गईं। इसके बाद वर्ष 2014 में झांसी से लोकसभा चुनाव जीतकर मोदी सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुईं। केंद्र सरकार में उन्हें जल संसाधन, नदी विकास और गंगा सफाई मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है।