भारत में आईएसआईएस-अल कायदा क्यों हुए असफल?
नई दिल्ली। दुनिया के खतरनाक आतंकी संगठन आईएसआईएस और अल-कायदा ने भारत में अपने संगठन की जड़ें फैलाने की भूरपूर कोशिशें कीं, लेकिन जिस विचारधारा के साथ वो भारत में आगे बढ़े, वो फेल हो गई। सच पूछिए तो इस विचारधारा को भारतीय मुसलमानों ने स्वीकार ही नहीं किया।
अल-कायदा एक डूबता सूरज है जबकि आईएस एक उगता सूरज। वहीं आईए का दावा है कि वह दुनिया में शरिया कानून लागू करने के लड़ाई लड़ रहा है लेकिन आईएस की इस लड़ाई और विचारधारा को भारत में कोई भी समर्थन नहीं मिला। एक बड़े मुस्लिम समुदाय का कहना है कि कौन ये सब चाहता है जबकिअल कायदा एक डूबता सूरज है जबकि आईएस एक उगता सूरज।
वहीं आईए का दावा है कि वह दुनिया में शरिया कानून लागू करने के लड़ाई लड़ रहा है लेकिन आईएस की इस लड़ाई और विचारधारा को भारत में कोई भी समर्थन नहीं मिला। एक बड़े मुस्लिम समुदाय का कहना है कि कौन ये सब चाहता है जबकि एक अदद लोग नौकरी और रोजी-रोटी के लिए जूझ रहे हैं।
बगदादी का खुद को पैगंबर का वंशज कहना गलत नीति साबित हुई
आईएस के जरूरी फैसले लेने वाली शूर्या काउंसिल ने अबू बकर बगदादी को पैगंबर साहब का वंशज घोषित कर दिया था। इस फैसले के बाद बगदादी को इस्लाम का खलीफा घोषित कर दिया गया। वहीं आईएस के इस फैसले का भारत सहित कई जगहों पर मजाक उड़ाया गया।
भारत के मुसलमानों ने बगदादी के इस दावे पर सवाल उठाते हुए कहा कि कुरान की किस आयत में लोगों के सर कलम करने की इजाजत दी गयी है। कई मुसलमानों का कहना है कि बगदादी स्वघोषित खलीफा है जिसे कोई भी भारतीय कभी भी स्वीकार नहीं करेगा।
भारत
के
मुसलमानों
ने
नकारा
आईएस
और
अलकायदा
को
भारत के मुसलमानों से इतर पश्चिम में में मुसलमानों के साथ काफी भेदभाव है लेकिन भारत के मुसलमानों की स्थिति इन देशों से कहीं बेहतर है। यहां तक कि पाकिस्तान की तुलना में भारत के मुसलमान कहीं बेहतर जिंदगी जी रहे हैं। भारत से जो गिने-चुने लोग इन संगठनों में शामिल होने के लिए गये उन्हें उनके परिजनों या संप्रदाय के लोगों के समझाने के बाद वापस लाने में सफलता मिली है।
अरीब मजीद की कहानी
महाराष्ट्र के कल्याण का निवासी अरीब मजीब जिसने अपने दोस्तों के साथ आईएस में शामिल होने के लिए सीरिया गया था। लेकिन कुछ ही महीनों बाद मजीद को भारत वापस लाने में सफलता मिली। मजीद की मां ने बताया कि उसके बेटे से टॉयलेट साफ कराया जाता था और उसने भारत से अपने बेटे को वापस लाने की भी गुहार लगायी थी।
मजीद ने एनएसए से पूछताछ के दौरान बताया कि आईएस में किसी भी तरह की विचारधारा नहीं है। ये लोग सिर्फ अपनी प्रभुता के लिए लोगों का खून बहा रहे हैं। मजीद ने बताया पैगंबर ने कभी भी इस तरह का संदेश नहीं दिया जो आईएस के लोग कर रहे हैं। वहीं एनआईए का कहना है कि मजीद का मामला उन लोगों के लिए उदाहरण बनेगा जिन्हें लगता है कि इराक और सीरिया में जाकर उनका जीवन वैभव से परिपूर्ण हो सकता है।