किशोर भजियावाला ने 700 लोगों का इस्तेमाल करके कालेधन को किया था सफेद, कभी बेचता था चाय
कभी चाय बेचने वाले सूरत के जिस फाइनेंसर किशोर भजियावाला के पास 400 करोड़ की संपत्ति पाई गई थी, उसने अपने कालेधन को सफेद करने के लिए 700 लोगों और नकील बैंक खातों का इस्तेमाल किया था।
अहमदाबाद। सूरत के जिस फाइनेंसर किशोर भजियावाला के पास से आयकर विभाग ने 10.45 करोड़ रुपए की अघोषित आय पकड़ी है, उसे लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। यह बात सामने आई है कि भजियावाला ने अपने कालेधन को सफेद करने के लिए करीब 700 लोगों का इस्तेमाल किया था और नकली बैंक खातों द्वारा पैसों का लेन-देन किया था। भजियावाला के पास करीब 400 करोड़ की संपत्ति होने का खुलासा पहले ही हो चुका है। सूरत के उधना में पहले किशोर चाय का स्टॉल चलाता था, जिसने कुछ साल पहले ही फाइनेंसर का काम करना शुरू किया है।
आयकर
विभाग
के
सूत्रों
के
अनुसार
भजियावाला
ने
करीब
27
बैंक
खातों
का
इस्तेमाल
किया
था,
जिनमें
से
करीब
20
खाते
बेनामी
थे।
इन
खातों
के
जरिए
उसने
अपने
पास
पड़े
कालेधन
को
सफेद
कर
लिया।
हालांकि,
अभी
तक
इस
बात
का
पता
नहीं
चल
सका
है
कि
आखिर
भजियावाला
ने
इन
खातों
में
कुल
मिलाकर
कितने
रुपए
जमा
किए
और
कितने
निकाले।
आयकर
विभाग
ने
उसके
पास
से
1,45,50,800
रुपए
जब्त
किए
थे,
जो
सभी
नई
करंसी
के
नोट
थे।
इसके
अलावा
उसके
पास
से
1,48,88,133
रुपए
का
सोना,
4,92,96,314
रुपए
की
सोने
की
ज्वैलरी,
1,39,34,580
रुपए
के
हीरे
और
77,81,800
रुपए
कीमत
की
चांदी
जब्त
की
गई
थी।
इस
मामले
में
बैंकों
और
कुछ
बड़े
अधिकारियों
के
शामिल
होने
के
संदेह
के
चलते
यह
केस
सीबीआई
को
दे
दिया
गया
था।
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सीबीआई
के
सूत्रों
ने
बताया
कि
भजियावाला
ने
लोगों
का
इस्तेमाल
करके
12
नवंबर
को
1
लाख,
13
नवंबर
को
2
लाख
और
14
नवंबर
को
4
लाख
रुपए
जमा
कराए।
इसमें
करीब
212
लोगों
का
इस्तेमाल
करके
पुराने
नोटों
को
नए
नोटों
में
बदला
गया
था।
सीबीआई
ने
यह
भी
पाया
है
सूरत
पीपल्स
को
ऑपरेटिव
बैंक
के
सीनियर
मैनेजर
पंकज
भट्ट
भी
काले
को
सफेद
करने
के
इस
खेल
में
शामिल
थे।
इसके
अलावा
1.45
करोड़
रुपए
की
नई
करंसी
जब्त
किया
जाने
को
लेकर
छानबीन
अभी
जारी
है।
सीबीआई
के
अधिकारी
उन
अन्य
खातों
का
भी
पता
लगाने
में
जुटे
हैं,
जिनका
इस्तेमाल
करके
कालेधन
को
सफेद
किया
गया।
एक
सूत्र
के
कहा-
बिना
किसी
बैंक
अधिकारी
के
शामिल
हुए
यह
मुमकिन
नहीं
है
कि
किसी
के
पास
इतनी
बड़ी
मात्रा
में
नई
करंसी
आ
जाए,
इसलिए
हम
लगातार
कई
बैंकों
पर
भी
संदेह
की
सुई
घुमा
रहे
हैं।